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हाइलाइट्स
- मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इंदौर ED की बड़ी कार्रवाई।
- फर्जी शराब चालानों के जरिए 49.42 करोड़ का घोटाला।
- मुख्य आरोपी अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत गिरफ्तार।
Indore liquor scam money laundering Case ED Action: इंदौर में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी फर्जी शराब चालान घोटाले की जांच के दौरान सामने आई, जिसमें करोड़ों रुपये के सरकारी कोष की हेराफेरी का मामला है। ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि दोनों आरोपी इस पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड हैं, जिन्होंने न सिर्फ इसकी साजिश रची, बल्कि उसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम भी दिया।
गिरफ्तारी के बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 8 अक्टूबर 2025 तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है। यह कार्रवाई रावजी बाजार थाना, इंदौर में दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई है, जिसमें कुछ शराब ठेकेदारों पर लगभग 49.42 करोड़ रुपए के सरकारी कोष को नुकसान का आरोप है।
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चालानों में की गई हेराफेरी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी शराब चालान घोटाले के आरोपी अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को गिरफ्तार किया है। आरोपियों पर सरकारी खजाने में जमा किए गए चालानों में जानबूझकर हेराफेरी और जालसाजी करने का गंभीर आरोप है। जांच में सामने आया है कि ठेकेदारों ने पहले बेहद कम राशि वाले चालान जमा किए, जिनमें 'राशि शब्दों में' वाला कॉलम खाली छोड़ दिया जाता था। चालान स्वीकार होने के बाद, उनमें शब्दों और अंकों की हेराफेरी कर बड़ी राशि दर्ज कर दी जाती थी।
इन फर्जी चालानों को बाद में देशी व विदेशी शराब से संबंधित जिला आबकारी कार्यालयों में जमा किया गया। इन फर्जी चालानों के आधार पर एक्साइज ड्यूटी, लाइसेंस फीस और मिनिमम गारंटी के झूठे भुगतान दिखाए गए, जिससे राज्य को करोड़ों का नुकसान हुआ। इन दस्तावेजों की मदद से आरोपियों ने गैरकानूनी तरीके से NOC और लाइसेंस प्राप्त किए।
2017 में दर्ज हुआ था मामला
इस घोटाले की FIR अगस्त 2017 में इंदौर के रावजी बाजार थाने में दर्ज की गई थी, जिसमें कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। आरोपियों के खिलाफ खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था।
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पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
इस घोटाले में आबकारी विभाग के कई अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जिनमें तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी संजीव दुबे, डीएस सिसोदिया, सुखनंदन पाठक, कौशल्या सबवानी, धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता के नाम शामिल हैं। इसके अलावा उपायुक्त विनोद रघुवंशी समेत 20 अन्य अधिकारियों के तबादले भी किए थे।
विभागीय लापरवाही भी आई सामने
आरोप है कि तीन साल तक आबकारी विभाग द्वारा चालानों का क्रॉस चेक (तौजी मिलान) नहीं किया गया। यह लापरवाही इस बात का संकेत है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत भी इस घोटाले में रही।
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