हाइलाइट्स
- इंदौर में जारी रहेगा ‘नो हेलमेट, नो पेट्रोल’ आदेश।
- आदेश के खिलाफ दाखिल लगीं याचिकाएं खारिज।
- हाई कोर्ट ने कहा- ये नियम जनसुरक्षा के लिए जरूरी।
NO Helmet NO petrol Indore HC Order: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” आदेश में किसी भी तरह के बदलाव से साफ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह हेलमेट को लेकर इंदौर प्रशासन का आदेश जन सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है और इसे यथावत लागू रहने दिया जाएगा। यह नियम भोपाल और जबलपुर में भी लागू है। अदालत ने ये फैसला इंदौर में हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं के कलेक्टर के आदेश आदेश के खिलाफ जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। अब ट्रैफिक से जुड़े अन्य मामलों पर सुनवाई जारी रहेगी।
कलेक्टर के आदेश के दी थी चुनौती
दरअसल, इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा अगस्त से लागू किए गए नो हेलमेट, नो पेट्रोल के आदेश को चुनौती देते हुए दो जनहित याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं ने इसे अव्यवहारिक और जनहित के विरुद्ध बताया था। इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा था, जिसे अब जारी कर दिया गया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा। यह नियम सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और लोगों की जान की हिफाजत के लिए जरूरी कदम है। हालांकि ट्रैफिक से जुड़े अन्य मुद्दों पर आगे भी सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” नीति पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।
याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं, आदेश यथावत रहेगा
इंदौर हाईकोर्ट ने अपने दो पन्नों के फैसले में साफ किया है कि जिला कलेक्टर द्वारा जारी ‘हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं’ आदेश में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। यानी यह फैसला मनमाना नहीं, बल्कि कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया के तहत लिया गया है।
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“नो हेलमेट, नो पेट्रोल” आदेश पर विवाद
30 जुलाई 2025 को जिला कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया था। 1 अगस्त से शहर के पेट्रोल पंपों पर केवल वे दोपहिया वाहन चालक पेट्रोल ले सकेंगे, जो हेलमेट पहनकर आएंगे। इंदौर के बाद भोपाल और जबलपुर में भी नो हेलमेट नो पेट्रोल के आदेश जारी किए गए थे।
हाई कोर्ट में क्यों दायर की गई थी याचिका?
इस आदेश को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रितेश इनानी ने चुनौती दी थी। उन्होंने कोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए कहा कि वे हेलमेट नियम का विरोध नहीं कर रहे, लेकिन इस नियम का पालन जिस तरीके से कराया जा रहा वह गलत है।
याचिकाकर्ता ने क्या सवाल उठाए?
याचिकाकर्ता का मानना है कि इस तरह का आदेश तब जारी किया जाता है जब कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका हो और लगे कि आदेश जारी नहीं करने की स्थिति में हंगामा, आंदोलन इत्यादि हो सकते हैं।
किस रिपोर्ट को आधार बनाकर लागू किया नियम
कलेक्टर ने आदेश के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए यह नियम लागू किया। उस रिपोर्ट में शहर में कई सुधार संबंधी सुझाव शामिल थे- जैसे ब्लाइंड स्पॉट हटाना, गड्ढों की मरम्मत, बंद सिग्नल ठीक करना, टर्न सही करना आदि। लेकिन जिला प्रशासन ने इन सुधारों की जगह सीधे “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” का आदेश जारी कर दिया। लगभग आधे घंटे की बहस के बाद, बुधवार को अदालत ने इस मामले पर आदेश को सुरक्षित रख लिया था। अब आदेश जारी कर दिया।
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पेट्रोल पंप पर मारपीट, आरोपी के खिलाफ केस दर्ज
इधर, इंदौर में लागू “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” नीति अब भोपाल और जबलपुर में भी प्रभावी कर दी गई है। इस नियम के तहत पेट्रोल पंपों पर बिना हेलमेट दोपहिया चालकों को पेट्रोल देने पर रोक है। इंदौर के चंदन नगर थाना क्षेत्र में स्थित धार रोड के लकी सेंटर पेट्रोल पंप पर एक युवक ने बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं मिलने पर पेट्रोल पंप कर्मी से मारपीट कर दी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया।
नियम तोड़ने वालों पर होगी कार्रवाई
जिला आपूर्ति नियंत्रक एम.एल. मारू ने बताया कि मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी प्रदीप के खिलाफ संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि आमजन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह नियम सख्ती से लागू रहेगा, और नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस खबर से जुड़े 5 अहम सवाल-जवाब
Q 1. क्या “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” नियम अब पूरे मध्यप्रदेश में लागू है?
- A: अभी यह आदेश इंदौर में लागू है और उसके बाद भोपाल व जबलपुर में भी इसे लागू किया गया है। भविष्य में इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है।
Q 2. क्या हाई कोर्ट ने इस आदेश को रद्द किया है या रोका है?
- A: नहीं, इंदौर हाई कोर्ट ने आदेश को पूरी तरह बरकरार रखा है और इसमें किसी भी बदलाव या रोक से इनकार कर दिया है। आदेश जन सुरक्षा और सड़क हादसों को रोकने के लिए जरूरी बताया गया है।
Q 3. क्या यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर है?
- A: हाँ, यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सड़क सुरक्षा समिति की रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है। यह मनमाना नहीं, बल्कि कानूनी प्रक्रिया के तहत लिया गया निर्णय है।
Q 4. यदि कोई व्यक्ति हेलमेट नहीं पहनता है, तो क्या उसे कानूनी रूप से पेट्रोल देने से मना किया जा सकता है?
- A: हां, जिला कलेक्टर के आदेश के अनुसार बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चालक को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा। यह आदेश वैधानिक है और कोर्ट द्वारा भी मान्य है।
Q 5. क्या याचिकाकर्ताओं को कोर्ट से कोई राहत मिली?
- A: नहीं, याचिकाकर्ताओं को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने साफ कहा कि आदेश जारी रहेगा और यह जनहित में आवश्यक है।