इंदौर। Indore Bhuteshwar Mandir: 4 अगस्त से शुरू हुए सावन का आज तीसरा सोमवार है। जगह—जगह बाबा भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया जा रहा है। उज्जैन महाकाल मंदिर में बाबा के विशेष श्रृंगार के बाद भस्मारती की गई। तो वहीं इंदौर के पंचकुइया स्थित 300 साल पुराने भूतेश्वर में ऐसी प्रथा है जहां मंदिर के सामने अंतिम संस्कार होने पर भगवान को मुक्ति मिलती है।
इंदौर का भूतेश्वर मंदिर
बाबा भोलेनाथ के अलग-अलग मंदिरों की अपनी मान्यता है। ऐसी ही एक खास मान्यता इंदौर के अंतिम चौराहा पंचकुइया पर स्थित करीब 300 साल पुराने मंदिर की है। जहां विराजे शिवलिंग को माता अहिल्या ने तप करके मां नर्मदा से हासिल किया था। ऐसी मान्यता है कि इस भूतेश्वर महादेव के सामने अंतिम संस्कार होने पर मुक्ति मिलती है।
शिवलिंग पर पड़ता था चिता प्रतिबिंब
कहा जाता है कि जब पहले मंदिर और शमशान के बीच रास्ता नहीं था तब चिता का प्रतिबिंब शिवलिंग पर पड़ता था। बाद में नगर निगम ने कई बार मुक्तिधाम की दीवार बनाने की कोशिश की, लेकिन बार-बार गिर जाती थी। जानकारों के बताने के बाद मुक्तिधाम की दीवार में बड़ी खिड़की और मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ के सामने भी खिड़की बनाई गई उसके बाद ही दीवार पूरी हो पाई।