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31 अक्टूबर 1984 की सुबह, इंदिरा गांधी अपने आवास से बाहर निकलीं। वो ब्रिटिश एक्टर पीटर उस्तिनोव को इंटरव्यू देने जा रही थीं। जैसे ही वह गेट नंबर 1 की ओर बढ़ीं, उनके अंगरक्षक बेअंत सिंह ने रिवॉल्वर निकाली और फायरिंग शुरू कर दी। उसने अपने साथी सतवंत सिंह से कहा, “देख क्या रहा है, गोलियां चला!”, और दोनों ने मिलकर इंदिरा गांधी पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। वो ज़मीन पर गिर पड़ीं। तुरंत उन्हें एम्स अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनका निधन हो गया। यह हमला ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला था — जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुई सेना की कार्रवाई से सिख समुदाय गहराई से आहत था। बदले की भावना में बेअंत सिंह, सतवंत सिंह और केहर सिंह ने इस हत्या की साजिश रची। बेअंत मौके पर मारा गया, जबकि सतवंत और केहर को बाद में फांसी दी गई। इंदिरा गांधी की मौत के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे — दिल्ली से पंजाब तक हिंसा फैल गई, घर जले, सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए और पूरा देश दहशत में डूब गया। आज जब हम इंदिरा गांधी को याद करते हैं, तो उनकी आखिरी बात अब भी गूंजती है — “मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करेगा।
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