Chandrayaan-3:चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिग के साथ ही भारत के निशान भी चांद पर छप जाएंगे। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किए गये चंद्रयान-3 मिशन में भेजे गये रोवर के पिछले पहिये में अशोक स्तंभ और ISRO का लोगो का चिन्ह है। रोवर इन दोनों की छाप चंद्रमा की सतह पर छोड़ेगा ।
बता दें कि ISRO ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी क्षेत्र को चुना है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां लंबे समय से रोशनी नहीं पहुंची है। यहां पानी की संभावना है इसलिए वैज्ञानिकों के लिए भी ये काफी रुचिकर क्षेत्र है।
रोवर चंद्रमा की सतह पर मौजूद खनिजों का अध्ययन करेगा। चंद्रयान के साथ भेजा गया लैंडर वातावरण, तापमान और पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी का अध्ययन करेगा। योजना के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा।
चंद्रयान 3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना है। अभी तक सिर्फ तीन देश अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसा कर चुके हैं। ऐसा करने के साथ ही भारत भी इन देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा।
चंद्रयान 3 के साथ इस बार केवल रोवर और लैंडर ही जा रहे हैं। चंद्रयान 2 के साथ भेजा गया ऑर्बिटर अभी भी वहां मौजूद है और काम कर रहा है। चंद्रयान-2 को 2019 में भेजा गया था, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया था। चंद्रमा की सतह से दो किमी पहले चंद्रयान 2 के लैंडर का संपर्क टूट गया था।
चंद्रमा पर भारत की मौजूदगी के होंगे निशान
लैंडर से निकलने के बाद रोवर प्रज्ञान न केवल डेटा इकठ्ठा करेगा बल्कि चंद्रमा की सतह पर हमेशा के लिए भारत की मौजूदगी के निशान भी छोड़ेगा। रोवर का पिछला पहिया इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह आगे बढ़ने पर अपने पीछे चंद्रमा की सतह पर सारनाथ में अशोक की लाट से लिया गया भारत का राष्ट्रीय चिह्न अंकित करेगा। इसका दूसरा पिछला पहिया इसरो का निशान प्रिंट करेगा जो हमेशा के लिए चांद पर भारत की मौजूदगी का प्रमाण होगा।
इसरो के वीडियो में चंद्रयान का पूरा मैकेनिज्म
चंद्रयान 2 को भेजे जाने के दौरान इसरो ने एक एनिमेटेड वीडियो रिलीज किया था, जिसमें इसके चांद की सतह पर लैंडिंग के बाद की कार्यप्रणाली के बारे में दिखाया गया था। चंद्रयान का लैंडर सतह पर उतरने के बाद उसके अंदर रखे रोवर की बैटकी एक्टिवेट हो जाएगी और उसके सोलर पैनल खुल जाएंगे। इसके बाद रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा। सतह पर पहुंचने के बाद उसका कैमरा और दूसरे हिस्से एक्टिव हो जाएगा और रोवर सतह पर आगे बढ़ने लगेगा।
लैंडर से 500 मीटर दूर ही जा सकेगा रोवर
रोवर जो डेटा इकठ्ठा करेगा उसे लैंडर के पास भेजेगा, जिसे लैंडर जमीन पर इसरो के कमांड सेंटर को भेजेगा। लैंडर के माध्यम से ही इसरो के वैज्ञानिक रोवर को कमांड भेज सकेंगे। रोवर का कार्यकाल एक चंद्रदिवस (धरती पर 14 दिन) के बराबर होगा। चंद्रमा की सतह पर परीक्षण के दौरान रोवर प्रज्ञान लैंडर से 500 मीटर से ज्यादा दूर पर नहीं जा सकेगा।
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