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नई दिल्ली। भारतीय रेल नेटवर्क को दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क माना जाता है। देश के लिए रेलवे लाइफलाइन है। देश के गौरव भारतीय रेलवे से जुड़ी कई ऐसी खास बातें हैं जिसे हम देखते या सुनते जरूर हैं लेकिन इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी ही खास बात बताने जा रहे हैं, जिसकी जानकारी शायद ही आपको होगी।
समुद्र तल से उंचाई क्यों लिखी जाती है?
अगर आपने रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर गौर किया होगा तो उसपर स्टेशन के नाम के साथ समुद्र तल से उसकी उंचाई लिखी होती है। भारत के हर रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर यह लिखा होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों लिखा जाता है। दरअसल, यह यात्रियों के सुरक्षा के लिए लिखा होता है। जिसका इस्तेमाल ट्रेन के चालक और गार्ड करते हैं।
धरती की उंचाई नापने के लिए हम इसका इस्तेमाल करते हैं
बतादें कि, हमारी धरती की उंचाई सभी जगह एक जैसी नहीं है। कहीं पर धरती उंची है तो कहीं पर नीची। ऐसे में पृथ्वी की एक समान ऊंचाई नापने के लिए समुद्र तल का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि धरती कितनी भी उंची नीची क्यों न हो समुंद्र तल की उंचाई ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होती है। यही कारण है कि धरती पर किसी भी स्थान की उंचाई नापने के लिए हम समुद्र तल का इस्तेमाल करते हैं।
लोको पायलट ऐसे करता है इस्तेमाल
अब सवाल उठता है कि हम समुद्र तल की उंचाई से कैसे यात्रियों की सुरक्षा तय करते हैं? दरअसल, यात्रियों को इसका पता नहीं चल पाता। लेकिन, ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड समुद्र तल की मदद से ही ऊंचाई का पता लगा पाते हैं। इसकी मदद से ही वह यह सुनिश्चित कर पाते हैं कि कब ट्रेन की गति को नियंत्रित करना है। अगर ट्रेन ऊंचाई की ओर जा रही है तो लोको पायलट ट्रेन की गति को बढ़ाता है और इसके लिए इंजन के टार्क को बढ़ाया जाता है। वहीं अगर ट्रेन ढलान की ओर जा रही है तो लोको पायलट ट्रेन की ब्रेकिंग सिस्टम का प्रयोग करता है। अगर लोको पायलट समुद्र तल की मदद से उंचाई का पता नहीं लगाएगा तो दुर्घटना होने के चांस बन जाते हैं।
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