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Indian Railways: रेलवे में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो हम रोज देखते हैं लेकिन उनके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं होती है। आपने रेलवे केओवरहेड वायर को देखा होगा। उसके नीचे से रोजाना सैकड़ों ट्रेनें गुजरती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि घर्षण के कारण ये तारे टूटते क्यों नहीं हैं? अगर आप इस चीज को जानते हैं तो अच्छी बात है। अगर नहीं जानते तो आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताएंगे।
पैंटोग्राफ पर पड़ता है घर्षण का प्रभाव
दरअसल, ओवरहेड तार पर ट्रेन की स्पीड से कोई बल उत्पन्न नहीं होता है। बल्कि यह बल पेंटोग्राफ (बिजली ग्रहण करने वाला उपकरण) पर उत्पन्न होता है। इस घर्षण से पैंटोग्राफ अधिक घिसता है और उसके उपर लगा बिजली का तार नाममात्र ही घिसता है। पैंटोग्राफ को भी घर्षण से बचाने के लिए कई उपाय किए जाते हैं। ताकि तार को टूटने से बचाया जा सके।
पेंटोग्राफ के सतह को नरम बनाया जाता है
पेंटोग्राफ की सतह जो ओवरहेड तार को छूती है, उसे नरम बनाया जाता है। ताकि सतह घिसे, तार नहीं। इसके अलावा पैंटोग्राफ में स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा का प्रयोग किया जाता है, ताकि पटरी की विषमताओं के बावजूद पैंटाग्राफ और तार के बीच ज्यादा बल पैदा न हो। यही नहीं बिजली की तार भी आड़ी तिरछी लगी होती है। ताकि पेंटोग्राफ भी एक ही जगह ज्यादा न घिसे।
इस वजह से तार नहीं टूटता
पैंटोग्राफ के ऊपर एक घिसने वाला स्ट्रिप लगा होता है - जिसे पैंटो कलेक्टर शू वियर स्ट्रिप कहते हैं। 4 मिलीमीटर घिसने के बाद इसे बदल दिया जाता है। इस वियर स्ट्रिप को जान बूझ कर काफी मुलायम बनाया जाता है, साथ ही घर्षण कम करने हेतु - इस कलेक्टर शू पर भी एक conductive ग्रीज़ लगाया जाता है। स्प्रिंग और कंप्रेस्ड हवा के कारण पैंटो का स्थैतिक बल मात्र 70 KN या 7 किलो के बराबर होता है (जबकि इंजन का वजन लाख किलो से भी ज्यादा होता है ) , साथ ही , 5 से 6 इंच तक की ऊँचाई की विषमता - कंप्रेस्ड हवा के कारण दूर किया जा सकता है और तार पर कोई झटका नहीं लगता है और तार टूटने से बचता है।
कॉन्टैक्ट वायर को भी कुछ समय बाद बदल दिया जाता है
अगर आपने रेलवे के ओवरहेड वायर पर गौर किया होगा तो देखा होगा कि बिजली की दो तारें ऊपर लगाई जाती हैं, ताकि नीचे वाली तार बिलकुल पटरी के समान्तर रहे। ऊपर वाले को catenary वायर कहते हैं , जो झुका हुआ रहता है । इस तार के नीचे कांटेक्ट तार को लगया जाता है। दोनों तार एक दूसरे से जुड़े रहते हैं ताकि कांटेक्ट वायर पर कम से कम बल लगे और वह ट्रैक के बिलकुल समान्तर रहे और इसे मजबूती भी मिले। इन सब के बावजूद कांटेक्ट वायर धीरे धीरे ही सही कुछ कुछ करके घिसती जाती है। हालांकि, इसमें कई साल लगते हैं। इसे भी एक समय के बाद बदल दिया जाता है।
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