Indian Railway: सर्दियों में पटरियों पर विस्फोटकों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? जानिए इसके पीछे के रोचक तथ्य

Indian Railway: सर्दियों में पटरियों पर विस्फोटकों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? जानिए इसके पीछे के रोचक तथ्य Indian Railway: Why are explosives used on tracks in winter? Know the interesting facts behind it nkp

Indian Railway: सर्दियों में पटरियों पर विस्फोटकों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? जानिए इसके पीछे के रोचक तथ्य

Indian Railway: कोहरे के कारण रेलवे को कई बार ट्रेनें रद्द करनी पड़ती हैं। ऐसा रेल हादसों से बचने के लिए किया जाता है। अवागमन को सामान्य रखने के लिए और भी कई तरीके हैं जिन्हें रेलवे अपनाता है। उन्ही में से एक तरीका है पटरियों पर विस्फोटक लगाना। अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर इन पटरियों पर रेलवे विस्फोटक क्यों लगाता है? आइए जानते हैं।

ब्रिटिश काल से किया जा रहा है इसका इस्तेमाल

रेलवे प्रशासन इन विस्फोटकों का इस्तेमाल अंग्रेजों के जमाने से करता आ रहा है। कोहरा अधिक होने पर रेलकर्मियों ने उन्हें पटरियों पर लगा देते हैं। ताकि लोको पायलट सतर्क रहे कि आगे फाटक, सिग्नल आदि है। इसके अलावा सिग्नल सुरक्षित गति से संचालित करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। सिग्नल से पहले पटरी पर इसे 270 मीटर की दूरी पर बांधा जाता है। जैसे ही यहां से ट्रेन गुजरती है इसके साथ ही तेज आवाज होतीहै। इस आवाज से चालक को आगे फाटक, सिग्नल आदि होने की जानकारी मिल जाती है और वह ट्रेन की गति को धीमी कर देता है।

इसलिए किया जाता है इसका इस्तेमाल

इसके अलावा कोहरे में जैसे ही रेलवे कर्मचारी को ट्रैक में कुछ खराबी का पता चलता और ट्रेन को रोकना जरूरी हो जाता है, तो इस काम के लिए भी इस डेटोनेटर का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि कोहरे की वजह से लाल कपड़े को नहीं दिखाया जा सकता है। अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि लोको पायलट ये कैसे समझता होगा कि डेटोनेटर किसी सिग्नल, फाटक या खतरे के लिए लगाया गया है?

खतरे को कैसे भापते हैं चालक

बता दें कि अगर रेलवे कर्मचारी को ट्रैक में कुछ खराबी दिखती है तो इस स्थिति में वो ट्रैक पर दो से तीन डेटोनेटर्स लगाता है। अगर चालक को एक से ज्यादा डेटोनेटर्स फटने की आवाज आती है तो वो समझ जाता है कि आगे खतरा है और इस स्थिति रोक दी जाती है। रेलवे इन डेटोनेटर का इस्तेमाल हमेशा नहीं करता है। बल्कि सर्दियों के मौसम में अधिक कोहरा होने की स्थिति में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है। ये डेटोनेटर इतने घातक नहीं होते कि इनसे पटरी को कोई नुकसान हो।

अब एंटी फॉग डिवाइस का किया जाता है इस्तेमाल

वहीं आधुनिक युग में रेलवे इन डेटोनेटर का इस्तेमाल भी अब नाम मात्र जगहों पर ही करता है। ज्यादातर ट्रेनों में अब एडवांस एंटी फॉग डिवाइस को लगाया गया है। इस डिवाइस के माध्यम से चालकों को अब आसानी से कोहरे में भी सिग्नल और क्रॉसिंग की पूरी जानकारी मिल जाती है। ये डिवाइस GPS से जुड़े होते हैं। पहले से ही इस डिवाइस में यह फीड कर दिया जाता है कि कितनी दूरी पर कौन सी क्रॉसिंग और सिग्नल आने वाली है। कोहरे में क्रॉसिंग या सिग्नल से करीब पांच सौ मीटर पहले ही ये डिवाइस लोको पायलट को सतर्क कर देती है।

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