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Indian Railway: मूसलाधार बारिश का सामना करने के बाद भी रेल की पटरियों में नहीं लगती जंग !, जानिए इसके पीछे का कारण?

मूसलाधार बारिश का सामना करने के बाद भी रेल की पटरियों में जंग नहीं लगती!, जानिए इसके पीछे का कारण? Train tracks do not rust even after facing torrential rains, know the reason behind this? nkp

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Bansal Digital Desk
Indian Railway: मूसलाधार बारिश का सामना करने के बाद भी रेल की पटरियों में नहीं लगती जंग !, जानिए इसके पीछे का कारण?

नई दिल्ली। बारिश हो धूप हो या कोई प्राकृतिक आपदा सभी को रेलवे ट्रेक बड़ी आसानी से झेल लेते हैं। ये रेलवे ट्रैक लोहे के बने होते हैं, लेकिन आपने देखा होगा कि इतने पानी और हना लगने के बाद भी इनमें जंग नहीं लगती है। ऐसे में आपने कभी सोचा है कि आखिर किस वजह से रेलवे ट्रैक में जंग नहीं लगती है

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ट्रैक में जंग क्यों लगती है?

रेलवे ट्रैक पर जंग क्यों नहीं लगती है, ये जानने से पहले आपको बताते हैं कि आखिर लोहे पर जंग क्यों लग जाती है। जब लोहे से बना सामान नमी वाली हवा में या गीला होने पर ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं तो लोहे पर एक भूरे रंग की परत यानी आयरन ऑक्साइड (Iron oxide) की जम जाती है। यह भूरे रंग की परत लोहे का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्साइड बनने से होता है, जिसे धातु का संक्षारण कहते या लोहे में जंग लगना कहते है। यह नमी की वजह से ही होता है और ऑक्सीजन, कार्बन डाईऑक्साईड, सल्फर, अम्ल आदि के समीकरण से यह परत बन जाती है। हवा या ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में लोहे में जंग नहीं लगती है।

इसमें क्या है खास

रेल की पटरी बनाने के लिए एक खास तरह का स्टील काम में लिया जाता है, जो लोहे से ही बनता है। स्टील और मेंगलॉय को मिला कर ट्रेन की पटरियां तैयार की जाती हैं। स्टील और मेंगलॉय के मिश्रण को मैंगनीज स्टील कहा जाता है। इसमें 12 प्रतिशत मैंगनीज़ और 1 प्रतिशत कॉर्बन मिला होता है। इस वजह से ऑक्सीकरण नहीं होता है या फिर काफी धीमी गति से होती है, इसलिए कई सालों तक इसमें जंग नहीं लगती है। जंग लगने से रेल की पटरी को जल्दी-जल्दी बदलना पड़ेगा और इसमें खर्च भी काफी है।

खास तरह के मैटेरियल का इस्तेमाल होता है

वहीं, अगर ट्रेन की ट्रैक को आम लोहे से बनाया जाए तो हवा की नमी के कारण उसमें जंग लग जाएगी। इसकी वजह से पटरियों को जल्दी-जल्दी बदलना पड़ेगा और इस वजह से खर्च बढ़ जाएगा। साथ ही इससे रेल दुर्घटनाएं होने का खतरा भी बढ़ जाएगा, ऐसे में रेलवे इनके निर्माण में खास तरह के मैटेरियल का इस्तेमाल करता है। दरअसल, इस लोहे में कार्बन की मात्रा कम होती है और जंग लगने की संभावना भी कम हो जाती है।

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इतना ही नहीं, कई लोगों का ऐसा भी मानना है कि पहियों के घर्षण बल के कारण पटरियों में जंग नहीं लगती है, पर ऐसा नहीं है। इसके पीछे सिर्फ स्टील और मेंगलॉय के मिक्स का कमाल है, जो रेलवे ट्रैक को जंग से बचाता है।

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