पुराने जमाने में भारत में काफी धन संपत्ति मौजूद थी। मुगलों का शासन शुरू करने से पहले भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 1600 ईस्वी के आस-पास भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन से भी ज्यादा थी। माना जाता है कि भारत की ये संपत्ति ही विदेशी आक्रमणों की वजह भी बनी।भारत में सोने की खपत का इतिहास देश के इतिहास जितना ही पुराना है। अलबत्ता देश में सोने के खनन का ज्यादा उल्लेख नहीं मिलता। कहा जाता है कि पश्चिम भारत की कुछ आदिवासी जातियां बालू के रेगिस्तान से सोना निकालने की कला जानती थीं। हमारी कुछ नदियों से भी सोना निकालने के विवरण मिलते हैं। झारखंड की एक नदी में तो बालू के साथ सोने के कण अब भी बहते हुए आते हैं। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि कर्नाटक में ईसा से पहले सोने की कई खदानें थीं, जिनसे सोना निकला जाता था।हालांकि कहा जाता है कि कोलार की खानों से निकले सोने के इस्तेमाल के शुरुआती साक्ष्य दो हजार साल पुरानी मोहनजोदड़ो और हड़प्पा संस्कृति में मिलते हैं। इसके बाद कोलार का सोना गुप्त और चोल राज्यवंशों की भी शोभा बना। टीपू सुल्तान और फिर अंग्रेज शासकों ने भी कोलार की खानों से सोना निकाला।INDIAN GOLD HISTROY
सोना अयस्क की खोज में व्यापारी जाते थे दूर देशों तक
वैसे भारतीय व्यापारी कच्चे सोने की खोज में दूर-दूर तक के सुदूर पूर्व के देशों की यात्राएं करते थे, यही कारण है कि सुमात्रा, जावा, इंडोनेशिया, मलेशिया, कंबोडिया, वियतनाम जैसे देशों में भारतीय संस्कृति की हजारों साल पुरानी छाप वहां के मंदिरों के रूप में अब भी देखी जा सकती हैं। भारतीय सोने के व्यापारी और कारीगर प्राचीन काल में इनमें से कई देशों में जाकर बस भी गये।INDIAN GOLD HISTROY
यहां से आता था सोना
वैसे विवरण तो ये भी मिलते हैं कि दक्षिण आस्ट्रेलिया के जनजातीय इलाकों से खनिज सोना भारत आता था, जहां उसे परिष्कृत किया जाता था। फिर उन्हें गहनों की शक्ल दी जाती थी।
ईसापूर्व से भारत में रहा है सोने का महत्व
सच ये है कि ईसा पूर्व से ही भारत में सोने का खास महत्व रहा है। ईसा से ढाई हजार साल पहले भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में सोने के सिक्के और गहने मिलने का वर्णन है। वैदिक काल में इसका महत्व धार्मिक और सांस्कारिक तौर तरीकों में और बढ़ा। रीतिरिवाजों में इस बहुमुल्य धातु का उपयोग अधिकाधिक होने लगा।
किस तरह समय और राजवंशों के साथ बढ़ा सोने का महत्व
मौर्य वंश के शासनकाल में सोने का महत्व शायद सबसे ज्यादा बढा। फिर मध्यकाल और मुगलकाल में स्वर्ण की चमक बढ़ती गई। चौदहवीं शताब्दी के आसपास तक तो भारत के कई साम्राज्यों में सोने और चांदी के सिक्कों का प्रचलन भी था।INDIAN GOLD HISTROY
मंदिरों और मठों में मोटा चढ़ावा
देश में सोने का महत्व इतना ज्यादा था कि पवित्र माने जाने वाले मंदिरों और मठों में बड़े पैमाने पर इनका चढावा चढ़ाया जाता था। अभी भी भारत के बड़े मंदिरों में सोना और बहुमूल्य आभूषणों की मात्रा कल्पनातीत है।
गजनी ने कितना सोना लूटा
आप खुद सोचिये महमूद गजनी ने सोमनाथ के मंदिर के खजाने को लूटने के लिए एक दो बार नहीं बल्कि चौदह बार भारत पर आक्रमण किया। बाद में उसके आक्रमणकारी दोनों हाथों से मंदिर की अकूत संपदा लूट कर ले गये। दक्षिण भारत के मंदिरों में तो सोने चांदी का खजाना इतनी बड़ी तादाद में है कि इन्हें मिला दिया जाये तो पूूरी दुनिया का सोना शायद ही भारत के आसपास भी कहीं ठहरेगा।INDIAN GOLD HISTROY