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Delhi CM Atishi Marlena MP Connection
Delhi CM Atishi Marlena MP Connection: अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी को दिल्ली मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई है। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद आतिशी मार्लेना मौजूदा दौर यानी वर्तमान समय में भारत की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं।
दिल्ली की सीएम आतिशी का मध्य प्रदेश से भी गहरा संबंध रहा है। आतिशी में मध्य प्रदेश में 4 से 5 साल तक काम किया है। आइए हम आपको इस संबंध में डिटेल में जानकारी देते हैं।
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Delhi CM Atishi Marlena[/caption]
यहां हुआ आतिशी का जन्म
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और तृप्ता वेही के घर जन्मी मार्लेना ने अपनी आर्किटेक्चरल शिक्षा नई दिल्ली के स्प्रिंगडेल्स स्कूल से और इतिहास की पढ़ाई सेंट स्टीफंस कॉलेज से पूरी की है। वह शेवनिंग स्कॉलरशिप पर मास्टर्स करने के लिए ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी गईं।
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इसके बाद में वह 2005 में ऑक्सफोर्ड के मैग्डलेन कॉलेज में रोड्स स्कॉलर के रूप में शामिल हुईं। आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में कुछ समय बिताने के बाद मार्लेना जब मध्य प्रदेश के भोपाल के पास एक छोटे से गाँव में रहनी लगीं। यहां आतिशी जैविक खेती और उन्नत शिक्षा आश्रम से जुड़ गईं। उन्होंने यहां कई लोगों के साथ काम किया।
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मध्य प्रदेश में भोपाल के पास किया 5 साल काम (Delhi CM Atishi Marlena MP Connection)
आतिशी ने ऋषि वैली में एक साल तक काम किया। इसके बाद 1 साल के लिए ऑक्सफोर्ड वापस गईं। यहां से मास्टर ऑफ एजुकेशन किया। यहां से वापस लौटकर आतिशी ने अपने दोस्तों के साथ 4-5 साल मध्यप्रदेश में काम किया। वे भोपाल के बाहर 25 किलोमीटर दूर एक गांव में रहती थीं।
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यहां वे स्थानीय समुदाय के साथ काम कर रही थीं। आतिशी ने कहा था कि मैं देखना चाहती थी कि आखिर कैसे समुदाय वास्तव में खुद को बदलकर गांधीवादी विचार और ग्राम स्वराज जैसे सोशल चेंजेस का उदाहरण बन सकता है। हम किसी के लिए नहीं थे, बल्कि हम खुद ये काम कर रहे थे। हमने स्थानीय स्कूलों, ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के साथ काम किया था।
आतिशी ने खंडवा में किया था जल सत्याग्रह
आतिशी ने 2015 में खंडवा के घोघलगांव में जल सत्याग्रह किया था। इस दौरान उनकी एक स्पीच का वीडियो भी जारी हुआ है, जिसमें वे उस समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की आलोचना करती हुई दिखाई दे रही हैं। अप्रैल 2015 में ओंकारेश्वर बांध के कारण प्रभावित 11 गांव के निवासियों ने घोघलगांव में जल सत्याग्रह किया था। यह आंदोलन ओंकारेश्वर बांध के जल भराव के मुद्दे पर केंद्रित था। सरकार ने इस बांध को 191 मीटर तक भरने का निर्णय लिया था, जबकि लोगों की मांग थी कि इसकी भराव क्षमता को कम किया जाए। तत्कालीन सरकार पर आरोप था कि उसने पुनर्वास के बिना गांवों को खाली कराया। नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले यह आंदोलन 32 दिनों तक चला, लेकिन इसे कोई सफलता नहीं मिली।
32 दिन सत्याग्रह में एक्टिव रही थीं आतिशी
खंडवा के घोघलगांव में नर्मदा बचाओ आंदोलन के सत्याग्रह में आम आदमी पार्टी के नेता भी शामिल हुए। पार्टी के पूर्व मध्यप्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल इस आंदोलन के रणनीतिकारों में से एक थे। उन्होंने आतिशी को खंडवा आने का निमंत्रण दिया था। अग्रवाल के अनुसार, आतिशी पहले दिन से लेकर आंदोलन के समापन तक सक्रिय रहीं। 32 दिनों तक चले इस प्रदर्शन के अंतिम दिन उन्होंने भाषण देकर आंदोलन का समापन किया।
आतिशी ने क्या कहा था ?
खंडवा के घोघलगांव में आतिशी ने अपने भाषण की शुरुआत 'इंकलाब जिंदाबाद' और 'भारत माता की जय' के नारों से की। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष, जो आपने किया है, वह विश्वभर में एक मिसाल है। लोग पानी में खड़े हैं और पूरा गांव उनके साथ खड़ा है। आज पूरे देश में किसान संघर्ष कर रहा है। यह स्थिति केवल मध्यप्रदेश की नहीं है, बल्कि दिल्ली से लेकर मुंबई और चेन्नई तक यही दृश्य है।
यह लड़ाई केवल नर्मदा घाटी और पांच गांवों की नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के किसानों की लड़ाई है। यह उस किसान की लड़ाई है, जिसे सरकार ने बेकार समझ लिया है। सरकार को लगता है कि किसान को यहां से उठाकर कहीं भी फेंक देना ठीक है... उसे बेघर कर देना कोई समस्या नहीं है। वह रोज आत्महत्या कर रहा है। जब फसल खराब होती है, तो सरकार केवल 200 रुपये का मुआवजा देती है।
घोघलगांव के निवासियों ने पानी में खड़े होकर यह दिखाया है कि वे सरकार के खिलाफ संघर्ष कर सकते हैं। जिस दिन लोग यहां सत्याग्रह में बैठे थे, उस दिन सरकार ने ओंकारेश्वर बांध की ऊंचाई 189 से 191 मीटर तक बढ़ा दी। सरकार को डर लग रहा है क्योंकि पुलिस के सामने गांव की महिलाएं डटकर खड़ी हो जाती हैं।
आतिशी ने रखा सरनेम बाद में हटाया (Delhi CM Atishi Marlena MP Connection)
मार्क्स और लेनिन के नाम पर प्रभावित होकर आतिशी ने अपना नाम मार्लेना रखा था, लेकिन बाद में अपने नाम से मार्लेन सरनेम को हटा दिया था। आतिशी ने स्कूल के समय में मार्क्स और लेनिन से बनने वाले शब्द 'मार्लेना' को अपने नाम के साथ लगा लिया था। इसके चलते ही उनका नाम आतिशी मार्लेना पड़ गया। व्लादिमीर इलिच को लेनिन के नाम से अधिक जाना जाता था जो कि एक रूसी कम्युनिस्ट, क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ और राजनीतिक सिद्धांतकार थे।
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आपको बता दें कि आतिशी ने अपना नाम 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार बनाए जाने के समय बदल दिया था। मीडिया द्वारा बताया जाता है कि विपक्षी पार्टियों द्वारा आतिशी को ईसाई बता कर अफवाह उड़ाई जा रही थी, जबकि वो एक पंजाबी राजपूत हैं। आतिशी ने पार्टी के कहने पर अपने नाम से 'मार्लेना' हटाया था।
यह भी कहा जाता है कि कम्युनिस्ट आइकन कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन को श्रद्धांजलि देने के लिए आतिशी ने अपने नाम के आगे से सरनेम हटा दिया था। इस सरनेम वाले विवाद के चलने एक बार आतिशी ने जानकारी दी थी कि, "मैंने अपना पारिवारिक सरनेम काफी साल पहले छोड़ दिया था'।
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