India-China: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पिछले 3 साल से जारी तनाव के बीच 14 अगस्त को भारत और चीन के बीच अगले चरण की सैन्य बातचीत होने जा रही है। इसमें भारत पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली बाकी जगहों से सैनिकों को जल्द पीछे हटाने पर जोर देने वाला है। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
भारत-चीन सीमा विवाद डिप्लोमेटिक चुनौती
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव को कम करने के लिए 19वें दौर की बातचीत चुशुल मोल्दो में 14 अगस्त को होगी,कोर कमांडर लेवल पर होने वाली बातचीत में भारत का जोर देपसांग और डेमचोक इलाके से सेना हटाने पर होगा. इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत-चीन सीमा विवाद को सबसे कठिन डिप्लोमेटिक चुनौती बता चुके हैं।
23 अगस्त को हुई थी 18वें दौर की बातचीत
पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ खास स्थानों पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तीन साल से अधिक समय से गतिरोध कायम है। जबकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य बातचीतों के बाद कई इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
सैन्य वार्ता के 18वें चरण में भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों के समाधान के लिए दबाव बनाया था। यह बातचीत 23 अप्रैल को हुई थी।
इन इलाकों में तनाव बरकरार
पेंटागन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैंगोंग झील के पास चीन ने डिविजन स्तर के मुख्यालय का निर्माण किया है। यह मुख्यालय गोगरा हॉट स्प्रिंग्स के दक्षिण में स्थित है। गलवान घाटी में अपने इलाके में भी चीन ने बैरकों का निर्माण कर लिया है। भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है। यह सीमा तीन सेक्टरों में बंटी हुई हैं।
जिनमें पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और मध्य सेक्टर शामिल हैं। भारत के पांच राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ सीमा साझा करते हैं। पश्चिमी सेक्टर में जम्मू कश्मीर, शिनजियांग और अक्साई चिन की सीमा वाला इलाका विवादित है।
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