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Kuno Cheetah: दिसंबर तक भारत में आएंगे 10 नए चीते, आधे कूनो में और बाकी को तीन नई साइट्स पर छोड़ने की तैयारी

Kuno Cheetah Project: भारत दिसंबर तक बोत्सवाना-नामिबिया से 10 चीते लाएगा, कूनो और नई साइट्स में छोड़े जाएंगे।

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Wasif Khan
Kuno Cheetah: दिसंबर तक भारत में आएंगे 10 नए चीते, आधे कूनो में और बाकी को तीन नई साइट्स पर छोड़ने की तैयारी

हाइलाइट्स

  • दिसंबर में बोत्सवाना से आएंगे 10 चीते
  • कूनो नेशनल पार्क में 61% सर्वाइवल रेट
  • नई साइट्स में नौरादेही और गांधीसागर तय
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Kuno Cheetah: भारत एक बार फिर अफ्रीकी देशों से चीतों की नई खेप लाने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, दिसंबर तक बोत्सवाना (Botswana) से 8 से 10 चीतों को भारत लाया जा सकता है। इसके अलावा नामिबिया (Namibia) का नाम भी सूची में शामिल किया गया है, जिसने पहले भी भारत को चीते दिए थे। इस पहल से देश में चीता संरक्षण प्रोजेक्ट को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

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कूनो में अब तक की कहानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2022 में कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में आठ चीतों को छोड़ा था। इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए। इस समय मध्यप्रदेश में कुल 27 चीते मौजूद हैं। इनमें से 24 कूनो और 3 गांधीसागर में हैं। खास बात यह है कि इनमें 16 चीते भारत में ही पैदा हुए हैं, जो इस प्रोजेक्ट की सफलता को दर्शाता है।

कूनो का सर्वाइवल रेट बना मिसाल

कूनो नेशनल पार्क में चीतों के शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत (survival rate) 61% है। यह आंकड़ा दुनिया के औसत 40% से कहीं ज्यादा है। वर्तमान में यहां ट्रांसलोकेटेड चीतों में से 11 जीवित हैं, जिनमें 6 मादा और 5 नर शामिल हैं। इनमें से 15 चीते फ्री-रेंजिंग हैं यानी खुले प्राकृतिक आवास में रहते हैं, जबकि 9 चीतों को बाड़े में रखा गया है।

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नई साइट्स के लिए योजना तैयार

सूत्रों के अनुसार, जो चीते दिसंबर में भारत लाए जाएंगे, उनमें से आधे को कूनो भेजा जा सकता है। वहीं, अधिकारियों ने तीन नई साइट्स भी तय की हैं। इनमें गांधीसागर और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य (Madhya Pradesh) तथा बन्नी ग्रासलैंड रिजर्व (Gujarat) शामिल हैं। गांधीसागर में पहले से ही तीन चीते मौजूद हैं।

हर साल लाए जाएंगे नए चीते

कूनो में बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए वन विभाग की योजना है कि हर साल 10 से 12 चीतों को अलग-अलग साइट्स पर छोड़ा जाए। इसका मकसद मौजूदा संख्या को संतुलित रखना और नए इलाकों को चीतों के लिए उपयुक्त बनाना है।

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