Maldives Elections: मालदीव में आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हो रहा है। मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह समेत आठ उम्मीदवार मैदान में हैं। 2018 के चुनाव में मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के गठबंधन ने 58 प्रतिशत वोट लेकर जीत हासिल की थी। चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ने भारत विरोधी नारा दिया था जबकि सत्तारूढ़ पार्टी ने मालदीव के विकास को मुद्दा बनाया।
मतदान स्थानीय समय के अनुसार सुबह आठ बजे शुरू होगा और शाम चार बजे तक चलेगा। शाम साढ़े चार बजे मतगणना शुरू होगी। किसी भी उम्मीदवार को जीत के लिए 50 प्रतिशत वोट पाना जरूरी है। बहुमत के अभाव में दो शीर्ष उम्मीदवारों के लिए दोबारा मतदान किया जाएगा।
क्या भारतीय सैनिक पर पड़ेगा असर
बता दें राष्ट्रपति सोलिह पर प्रतिद्वंदी मोहम्मद मुइज ने भारत को देश में अनियंत्रित उपस्थिति की मंजूरी देने का आरोप लगाया है। मुइज ने वादा किया कि अगर वह राष्ट्रपति पद जीत गए तो वह मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों को हटा देंगे। साथ ही देश के व्यापार संबंधों को संतुलित करेंगे। वहीं उनका ये भी कहना है कि यह स्थिति काफी हद तक भारत के पक्ष में है। मालदीव, भारत का सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। भारत से 2000 किलोमीटर दूर मालदीव की जनसंख्या सिर्फ 520,000 है। यह पिछले कई दशकों से भारत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साथी रहा है।
मालदीव पिछले कई सालों ने ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति को मानता आया है। साथ ही कई प्रमुख मुद्दों पर भारत का शीर्ष भागीदार है। लेकिन मुइज की वजह से भारत का प्रभाव देश में विवादास्पद हो गया है। इस बार चुनावों में भारत सबसे अहम मुद्दा बना हुआ है। भारत और चीन दोनों ने ही प्रभाव पैदा करने के मकसद से मालदीव में इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के तौर पर लाखों डॉलर का निवेश किया है।
हिंद महासागर पर पड़ेगा असर
भारत कई दशकों से हिंद महासागर में सबसे प्रभावशाली शक्ति रहा है। व्यापार पर मालदीव जैसे रणनीतिक रूप से स्थित द्वीप देशों के साथ मिलकर काम करने से भारत का प्रभाव क्षेत्र में सुरक्षित रहेगा। भारत ने मालदीव तटरक्षक बल को रक्षा उपकरण जैसे सर्विलांस एयरक्राफ्ट उपहार में दिए हैं। साथ ही इसने मालदीव के रक्षा बलों को उपहार में दिए गए डोर्नियर विमान का उपयोग करने के लिए सैनिकों को ट्रेनिंग देने में मदद करने के लिए अपने सैनिकों को तैनात किया है। मालदीव सहयोग पर निर्भर है।
मुइज जीते तो हावी होगा चीन
इन सबके बावजूद मालदीव के राजनेताओं के एक वर्ग को भारत की मौजूदगी खलती है। मुइज तो मालदीव प्रोग्रेसिव पार्टी (एमपीपी) से उम्मीदवार हैं उन्हें भारत पर गहरा संदेह है। वह पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के करीबी भी हैं। यामीन के साल 2013-2018 तक के कार्यकाल में पारंपरिक रूप से मजबूत भारत-मालदीव संबंधों में तनाव बढ़ गया था। भारत यामीन की सत्तावादी शासन शैली का भी आलोचक था।
पूर्व राष्ट्रपति यामीन ने चली थी चाल
आपको बता दें की यामीन ने चीन को तस्वीर में लाने के लिए भारत से दूर जाने की कोशिश की। उनकी सरकार में चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर मालदीव ने साइन किया था। यामीन के कार्यकाल में मालदीव पर चीनी कर्ज में भी बेतहाशा इजाफा हुआ था। उनके नेतृत्व में ही मालदीव चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा बन गया था। लेकिन साल 2018 में सोलिह के चुनाव जीतने के बाद से मालदीव अपनी पारंपरिक भारत-केंद्रित विदेश नीति पर लौट आया। साल 2020 में यामीन की पार्टी ने ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया था।
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