रिपोर्ट: मनीष सोनी, दमोह
Inder Singh Parmar Misabandi Video Damoh: मध्यप्रदेश के दमोह में स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में मीसाबंदी संतोष भारती ने उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के हाथों सम्मान लेने से इनकार कर दिया। मंत्री इंदर सिंह परमार और कलेक्टर सुधीर कोचर के मनाने के बावजूद भी वे नहीं माने।
नाराज मीसाबंदी संतोष भारती ने कहा कि उन्होंने 40 साल पहले हाउसिंग बोर्ड से एक जमीन खरीदी थी, जिसकी रजिस्ट्री आज तक नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि रजिस्ट्री के लिए एक अधिकारी ने 5000 रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसे उन्होंने देने से इनकार कर दिया था। वे समारोह में सम्मान के लिए नहीं, बल्कि ज्ञापन देने और न्याय पाने के लिए गए थे। उन्होंने मंच पर मंत्री को एक आवेदन भी दिया। जिस पर मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि भारती ने ऐसा क्यों किया। मीसाबंदी संतोष भारती ने यह भी दावा किया कि वे देश के ऐसे एकमात्र व्यक्ति हैं, जो तीन बार मीसाबंदी के तहत जेल गए हैं।
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— Bansal News Digital (@BansalNews_) August 15, 2025
कोर्ट से जीत चुके जमीन का केस
मीसाबंदी संतोष भारती के मुताबिक, उन्होंने 40 साल पहले हाउसिंग बोर्ड से एक जमीन खरीदी थी और वे हाईकोर्ट से केस जीत चुके हैं, फिर भी उनकी रजिस्ट्री नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि पहले लोग शासन बदलने की बात करते थे, लेकिन पिछले 25 साल से भाजपा की सरकार होने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला है।
सम्मान देना एक पाखंड है केवल
भारती ने कहा कि वे सम्मान के भूखे नहीं हैं और राजनीति को धंधा नहीं मानते। उनके अनुसार, राजनीति का उद्देश्य लोगों को रोजगार, शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य देना होना चाहिए, अन्यथा सम्मान देना केवल एक पाखंड है।
मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप
भारती ने मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मैंने मंत्री से बात की और उन्हें एक ज्ञापन भी दिया था, जिसमें लिखा था कि वे इस सम्मान समारोह से खुद को अलग कर रहे हैं।
मीसाबंदी का न्यायिक इतिहास
मीसाबंदी ने बताया कि उन्हें तीन बार जेल जाना पड़ा। पहली बार, 1973 में पुलिस विद्रोह भड़काने के आरोप में, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव भी उनके साथ थे। दूसरी बार, 1974 में ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन द्वारा बुलाई गई रेल हड़ताल के कारण, और तीसरी बार 1975 में आपातकाल के दौरान जॉर्ज फर्नांडीस के साथ देशव्यापी जनजागरण अभियान में शामिल होने के लिए भेजा गया था।
अब तक नहीं मिला ताम्रपत्र
मीसाबंदी ने यह भी बताया कि कई पात्र और अपात्र मीसाबंदियों को ताम्रपत्र जारी किए जा चुके हैं, लेकिन उन्हें नहीं मिला, क्योंकि उन्होंने जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में मामले चला रखे हैं।
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