Advertisment

MP News: इस गांव में परिजनों के पलायन से बच्चों पर नहीं पड़ता असर, बच्चों की अच्छे से हो रही पढ़ाई

खारया भादल गांव जो विकास से कोसो दूर है। गांव में ज्यादातर लोग आदिवासी समाज से ताल्लूख रखते हैं। गांव के आधे से ज्यादा लोग पलायन करते हैं।

author-image
Agnesh Parashar
MP News: इस गांव में परिजनों के पलायन से बच्चों पर नहीं पड़ता असर, बच्चों की अच्छे से हो रही पढ़ाई

बड़वानी। जिले खारया भादल गांव जो आज भी विकास से कोसो दूर है। इस गांव में ज्यादातर लोग आदिवासी समाज से ताल्लूख रखते हैं। इसके साथ ही गांव के आधे से ज्यादा लोग पलायन करते हैं।

Advertisment

लेकिन इस गांव की ख़ास बात ये हैं कि लोगों के पलायन के बाद भी इसका असर उनके बच्चों में नहीं पड़ता है। यहां के  लोग अपने बच्चों को गांव में ही छोड़कर कमाने निकल पड़ते हैं। बच्चों के पढ़ाई का जिम्मा नर्मदा नव निर्माण ने लिया है।

विकास से कोसो दूर खारया भादल गांव

इस गांव में ग्रामीणों ने और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने 2004 में जीवनशाला प्रायमरी स्कूल बनवाया था। स्कूल में 8 से 10 गांव के करीब 112 बच्चे पढ़ते हैं। जिनके पढ़ने लिखने से लेकर रहने खाने पीने तक की जिम्मेदारी जीवनशाला स्कूल की रहती है।

नव निर्माण अभियान के तहत मिल रही मदद

नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता राहुल यादव ने बताया कि जीवनशालाओं के प्रबंधन और फंड की जिम्मेदारी नर्मदा नव निर्माण अभियान की तरफ से उठाई जा रही है। जो कि मुबंई स्थित एक ट्रस्ट है, जो गुजरात में सरदार सरोवर बांध के निर्माण से विस्थापित समुदायों के पुनर्वास और सहायता के लिए काम करता है।

Advertisment

गांव के ज्यादातर लोग करते हैं पलायन

यहां पर आदिवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा हर साल गन्ना काटने के काम के लिए मौसमी रूप से  गुजरात, ओर महारष्ट्र में पलायन करता है। इस दौरान वे अपने बच्चों को जीवन शालाओं की देखरेख में गाँवों में पीछे छोड़ जाते है, जहां शिक्षक न सिर्फ उन्हें पढ़ाते हैं बल्कि उनकी अन्य जरूरतों का ख्याल भी रखते हैं।

बच्चों पर नहीं पड़ता पलायन का असर

दरअसल यह सरदार सरोवर बांध से प्रभावित आदिवासी परिवारों के बच्चों के लिए स्थापित एक स्थानीय स्कूल जीवन शाला है, जहां उन्हें पढ़ाया जा रहा है। बच्चे भी पूरी तन्मयता के साथ अपनी पढ़ाई में व्यस्त हैं और यहां मिल रही शिक्षा का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

जीवनशाला के शिक्षक निर्भय सिंह सस्ते ने बताया की यहां पढ़ने आने वाले ज्यादातर बच्चों के माता-पिता प्रवासी मजदूर हैं। जब उनके बच्चे हिंदी मराठी में लिखते या बोलते हैं, तो उन्हें काफी गर्व महसूस होता हैं। हम इन बच्चों को यहां प्राइमरी शिक्षा मुहैया कराते हैं।

Advertisment

नर्सरी से कक्षा 5 वी तक बच्चों हो रही पढ़ाई

यहाँ कक्षा नर्सरी से कक्षा 5 वी तक बच्चों को पढ़ाया जाता है। मध्यप्रदेश में दो और महाराष्ट्र के नंदुरबार में ऐसी चार जीवनशालाएं हैं। ये संस्थान एक तरह से प्राइमरी स्कूल की जिम्मेदारी निभाने का काम कर रहे हैं। सरकारी स्कूलों में टीचर नही आते इतनी दूर और पढ़ाई भी नही हो पाती बच्चों की इस लिए बच्चें यहीं पढ़ने आते है l

ये भी पढे़ं:

ICAI CA Foundation Result Release: आईसीएआई सीए फाउंडेशन का रिजल्ट आज हो सकता है जारी, यहां करें चेक

Sarfaraz Khan Marriage: कश्मीर की रोमाना जहूर से शादी के बंधन में बंधे सरफराज खान, देखें तस्वीर

Advertisment

Shukra Asta 2023: 17 अगस्त तक इनकी मौज, ये खरीदेंगे लग्जरी कार, लव पार्टनर वालों को खास होगा समय

Hindi Current Affairs MCQs: 07 अगस्त, 2023 के महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs), सभी परीक्षाओं के लिए उपयोगी

MP News: आयुष्मान, संबल योजना के नाम पर ठगी, 200 महिलाओं के खातों से निकाली जमा राशि, जानिए पूरा मामला

MP news Barwani news मप्र न्यूज Kharaya Bhadal Village Migration Barwani Save Narmada Andolan खारया भादल गांव नर्मदा बचाओ आंदोलन पलायन बड़वानी बड़वानी न्यूज
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें