ग्वालियर। मप्र के ग्वालियर में स्थित प्रदेश की सबसे बड़ी आर्दश गौशाला में इन संगीत की धुन पर गौवंश का इलाज किया जा रहा है। यहां पर गौवंश को म्यूजिक थैरपी दी जा रही है। यह प्रदेश की ऐसा अनोखी गौशाला बन गई है,जहां पर गायों के उपचार के वक्त उन्हें बांसुरी की धुन सुनाई जाती है।
गौशाला में सेवाएं देने वाले कर्मचारी बताते है इससे बहुत जल्द ही गाय स्वास्थ हो जाती है। दावा तो यह किया गया है कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित गौंवश भी बांसुरी की धुन सुनकर रोगों से मुक्त हुए हैं।
रोजाना करीब 10 से 12 गाय आती है गौशाल
बता दें कि इस आर्दश गौशाला में रोजाना करीब 10 से 12 गाय बाहर से आती हैं। कई गायों से बहुत कमजोर तो कई को गंभीर बीमारियां रहती हैं। वैसे तो गायों के इलाज के लिए नगर निगम के द्वारा पशु डॉक्टरों की टीम आता है। लेकिन दर्जन भर सेवादार भी इलाज के वक्त गौशाला में उपस्थित रहते हैं ताकि गायों को संगीत की धुन पर इलाज मिल सके है।
डॉक्टरों ने कही ये बात
यहां पर इलाज करने आने वाले डॉक्टरों का कहना है कि गौशाला में इलाज के साथ भगवान की दुआ भी गायों को मिलती है इससे जल्दी ही गौंवश ठीक हो जाते हैं। सेवादारों का कहना है हमारी म्यजिक थैरपी काम कर रही है। इसलिए यहां पर काफी कम समय गाय रोगों से रिकवर हो जाती हैं। गायों के लिए यह म्युजिक थैरपी किसी वरदान से कम नहीं है।
पैराणिक ग्रंथों में है मुरली की धुन का वर्णन
भारतीय पैराणिक ग्रंथों में भी वर्णन मिलता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी मुरनी बजाते थे। तो सभी गौंवश भागकर उनके पास चली आती थीं। मरली की धुन इन गायों में नई उर्जी भर देती है। इसलिए यह सेवादार दावा कर रहे हैं कि यहां पर 80 फीसदी गाय ठीक गई क्योंकि उन सभी को मुरली की धुन सुनाई गई।
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