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MP News: बारिश में ग्रमीण शव यात्रा के साथ ले जाते टीन की चादर, शाजापुर के गांव में नहीं है शमशान

छायन गांव का यह पूरा मामला जहां पर शमशान में टीन शेड न होने के कारण बारिश में टीन की चादर पकड़कर ग्रामीणों को अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है।

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Agnesh Parashar
MP News: बारिश में ग्रमीण शव यात्रा के साथ ले जाते टीन की चादर, शाजापुर के गांव में नहीं है शमशान

शाजापुर। मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में एक मृतक टीन की चादर पकड़कर शव का अंतिम संस्कार किया गया है। यहां पर ग्रामीणों को मौत के बाद भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

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ग्रामीणों का आरोप

जिले के छायन गांव का यह पूरा मामला बताया जा रहा है। जहां पर शमशान में टीन शेड न होने के कारण बारिश में टीन की चादर पकड़कर ग्रामीणों को अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि पूर्व सरपंच, वर्तमान सरपंच और सचिव से लेकर जिला प्रशासन तक कई बार शमशान में फैली अव्यवस्था को लेकर शिकायत की जा चुकी है।

लेकिन अभी तक शमशान में हालात जस के तस बने हुए है। इसी कारण भारी बारिश में ग्रामीणों को अंतिम संस्कार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार विकास प्रदेश में विकास के जो किस्सें सुनाते है। उसकी हकीकत आज शाजापुर में एक गांव में देखी जा सकती है । जहां गांव वालों को एक सुविधाजनक शमशाम घाट तक मौजूद नहीं है।

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गांव में शमशान मौजूद  नहीं

दरअसल, इस गांव में शमशान मौजूद ही नहीं है। यहां पर लोग अपने स्वजनों का कच्ची खाली पड़ी जगह पर ही बारिश के मौसम में शव का अंतिम संस्कार करते हैं। समस्या तब और बढ़ जाती है जब कोई व्यक्ति बारिश के मौसम मरता है, क्योंकि इस गांव में टीन शेड से निर्मित शमशान नहीं है। बारिश के दिनों में ग्रामीण और मृतक के रिश्तेदार ही अपने साथ शव यात्रा में टीन की चादर साथ लेकर शव यात्रा में जाते हैं।

शव यात्रा में ले जाते है टीन की चादर

जिसे कुछ ग्रामीण पकड़ कर पहले तो शव की सय्या के लिए लकड़ी जमाते हैं उसके बाद पेट्रोल डालकर अंतिम संस्कार करते हैं। जब अंतिम संस्कार में आग की लो तेज हो जाती है तब यह ग्रामीण लकड़ी के सहारे टीन के चद्दर को ऊपर कर देते हैं।

जिससे उन्हें आंग की लपटे न लगे। कई बार तो यंहा बारिश में अधजले शव रह गए है जिसे ग्रामीण फिर से जलाने का प्रयास करते है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि हर बार बारिश में इस गांव के यही हालात होते हैं। इसी तरह शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। कई बार शमशान के लिए आवेदन निवेदन किया जा चुका है। लेकिन आज तक किसी ने इस गांव की सुध नहीं ली।

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