हाइलाइट्स
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बूथ वाइज वोटिंग डेटा जारी करने की याचिका
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आज सुप्रीम कोर्ट हुई सुनवाई
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सुप्रीम कोर्ट ने ADR को लगाई फटकार
Polling Booth Wise Data: उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा चुनावों के दौरान अपनी वेबसाइट पर वोटर टर्नआउट अपलोड करने वाली याचिका पर चुनाव आयोग को किसी भी तरह का निर्देश देने से इंकार कर दिया।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वेकेशन बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 5 चरण के मतदान हो चुके हैं, दो चरण बाकी हैं।
ऐसे में डेटा अपलोडिंग के लिए अधिक लोगों को जुटाना चुनाव आयोग के लिए काफी मुश्किल है। इस काम करने के लिए अधिक संख्या में मैनपावर की आवश्कता होती है, लेकिन अब पांच चरण के मतदान पूरे हो चुके हैं और दो चरण के शेष हैं ऐसे में चुनाव आयोग मैनपावर कहां से जुटाएगा।
आज (24 मई) सुप्रीम कोर्ट में बूथ वाइज वोटिंग डेटा की याचिका पर अहम सुनवाई की गई। दरअसल, फॉर्म 17 सी के डेटा को जारी करने को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ था।
NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) की वेबसाइट पर फॉर्म 17 सी डेटा अपलोड करने और बूथ वाइज वोटिंग डेटा अपलोड करने की मांग की थी। इसे लेकर ADR ने याचिका की थी।
इस याचिका में मांग की गई कि मतदान खत्म होने के 48 घंटे के भीतर चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17 C की कॉपी अपलोड करे। हालांकि, चुनाव आयोग ने इस याचिका का विरोध किया है।
क्या है मामला?
ADR की याचिका में वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया कि मतदान के कई दिनों बाद आंकड़े जारी किए गए थे। इस दौरान शुरुआती डेटा और अंतिम डेटा में पांच फीसदी के करीब का अंतर होने का दावा किया गया।
EC ने किया विरोध
बूथ वाइज वोटिंग डेटा की याचिका मामले में चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल कर याचिका का विरोध किया है। इस दौैरान ईसी ने कहा कि अगर फॉर्म 17 C की कॉपी वेबसाइट पर अपलोड की गई, तो कॉपी लेकर उसकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है।
क्या है फॉर्म 17 C?
आपको बता दें हर पोलिंग बूथ पर एक प्रिसाइडिंग अफसर होता है, जिसे एक फॉर्म दिया जाता है। इस फॉर्म को आनलाइन ही भरना होता है, जो कि वोटिंग की प्रक्रिया खत्म होने के तुरंत बाद ही करना होता है।
22 मई को हुई थी सुनवाई
इस मामले में 22 मई को सुनवाई हुई थी। इस दौरान सुनवाई में आयोग ने NGO की मांग का विरोध किया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में कहा था कि फॉर्म 17सी के आधार पर वोटिंग डेटा का खुलासा करने से मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा होगा, क्योंकि इसमें बैलेट पेपर की गिनती भी शामिल होगी।
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