कानपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर (आईआईटी-के) ने क्लाउड सीडिंग के लिए एक उड़ान का सफल परीक्षण किया। आईआईटी-के द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि संस्थान ने गत 21 जून को क्लाउड सीडिंग के लिए एक परीक्षण उड़ान आयोजित की।
लंबे समय से हो रहा था परीक्षण
यह परियोजना कुछ साल पहले आईआईटी कानपुर में शुरू की गई थी और इसका नेतृत्व कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मनिन्द्र अग्रवाल कर रहे हैं। यह प्रयोग डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के अनुमोदन से किया गया था।
आईआईटी कानपुर 2017 से इस प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा है, लेकिन कई वर्षों से डीजीसीए से परमिशन मिलने पर मामला अटका था। सारी तैयारियों के बाद बीते दिनों डीजीसीए ने टेस्ट फ्लाइट की अनुमति दे दी।उत्तर प्रदेश सरकार ने कई साल पहले क्लाउड सीडिंग के परीक्षण की अनुमति दे दी थी।
हमें ख़ुशी है हमारा परीक्षण सफल रहा
क्लाउड सीडिंग में वर्षा की संभावना को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न रासायनिक एजेंट जैसे सिल्वर आयोडाइड, सूखी बर्फ, नमक और अन्य तत्वों का उपयोग शामिल है। प्रोफ़ेसर मनिन्द्र अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमें ख़ुशी है कि क्लाउड सीडिंग के लिए हमारा परीक्षण सफल रहा।
हम सेटअप पूरा करने के करीब हैं
सफल परीक्षण उड़ान का अर्थ है कि अब हम बाद के चरणों में क्लाउड सीडिंग करने और इसे सफल बनाने के लिए तैयार हैं…’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम पिछले कुछ वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। कोविड महामारी के कारण खरीद प्रक्रियाओं में देरी हुई लेकिन अब, डीजीसीए से मंजूरी और पहले परीक्षण के सफल समापन के बाद, हम सेटअप पूरा करने के करीब हैं।
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‘ यह उड़ान लगभग 5000 फीट की ऊंचाई तक गई और परीक्षण पूरा करने के बाद आईआईटी कानपुर फ्लाइट लैब हवाई पट्टी पर वापस आ गई।
कैसे किया गया परीक्षण
जानकारी के मुताबिक, आईआईटी की हवाई पट्टी से उड़े सेसना एयरक्राफ्ट ने 5 हजार फीट की ऊंचाई पर घने बादलों के बीच दानेदार केमिकल पाउडर फायर किया। ये सब कुछ बिल्कुल आईआईटी के ऊपर ही किया गया था। केमिकल फायर करने के बाद तुरंत बारिश शुरू हो गई। जानकारों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग के लिए सर्टिफिकेशन नियामक एजेंसी डीजीसीए ही देता है। इस सफल टेस्ट फ्लाइट के नतीजों का आकलन करने के बाद तय किया जाएगा कि आगे और टेस्ट किए जाएं या नहीं। इस दौरान आईआईटी और आसपास तेज बारिश हुई।
वायु प्रदूषण स्थितियों से निपटा जा सकेगा
क्लाउड सीडिंग में वर्षा की संभावना को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न रासायनों जैसे सिल्वर, आयोडाइड, सूखी बर्फ, नमक और अन्य तत्वों को शामिल किया गया। आईआईडी कानपुर के इस परीक्षण में सेना के विमान का इस्तेमाल किया गया था।
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कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर का कहना है कि क्लाउड सीडिंग परीक्षा सफल रहा है। इससे आने वाले समय में वायु प्रदूषण और सूखे की स्थितियों से निपटा जा सकेगा। कृत्रिम बारिश से आम लोगों को राहत मिल सकेगी। किसानों की फसलों को बचाया जा सकेगा।
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