हाइलाइट्स
- यौन शोषण मामले में ACP मोहसिन खान का पीएचडी प्रोग्राम समाप्त।
- IIT Kanpur में साइबर क्राइम, क्रिमिनोलॉजी में पीएचडी में दाखिला लिया।
- यूपी पुलिस मुख्यालय की सिफारिश पर पीएचडी प्रोग्राम समाप्त।
IIT Kanpur Rape Case: आईआईटी कानपुर की एक पीएचडी छात्रा द्वारा लगाए गए यौन शोषण के गंभीर आरोपों के बाद सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) मोहसिन खान को न सिर्फ यूपी पुलिस से निलंबित किया गया है, बल्कि अब उन्हें उनके पीएचडी प्रोग्राम से भी निष्कासित कर दिया गया है।
मोहसिन खान ने आईआईटी कानपुर में साइबर क्राइम और क्रिमिनोलॉजी विषय में पीएचडी में दाखिला लिया था। लेकिन पीड़िता द्वारा दिसंबर 2024 में दर्ज कराई गई शिकायत और एसआईटी जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद यह कड़ा कदम उठाया गया है।
शादी का झांसा देकर बनाया शारीरिक संबंध
26 वर्षीय पीएचडी छात्रा ने कल्याणपुर थाने में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया था कि मोहसिन खान ने अपनी शादीशुदा स्थिति छिपाकर उनके साथ संबंध बनाए और शादी का वादा किया। लेकिन जब सच्चाई सामने आई तो उन्होंने धमकाना शुरू कर दिया।
मार्च 2025 में हुआ निलंबन, अब IIT से निष्कासन
विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट में आरोपों को सही पाया गया है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मार्च 2025 में मोहसिन खान को निलंबित कर दिया। अब, IIT Kanpur ने भी यूपी पुलिस मुख्यालय की सिफारिश के आधार पर उनका पीएचडी प्रोग्राम समाप्त कर दिया है।
आईआईटी के निदेशक डॉ. मनिंद्र अग्रवाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि संस्थान महिला सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और ऐसे मामलों में रिसी भी इंसान पर रियायत नहीं बरती जाएगी।
अभी हाईकोर्ट से मिली है गिरफ्तारी पर रोक
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिलहाल मोहसिन खान की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है। लेकिन केस की सुनवाई अभी भी जारी है। यह घटना न केवल पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है, बल्कि देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में महिला सुरक्षा को लेकर भी गहरे चिंतन की मांग करती है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट: मर्जी से शादी करने वाले जोड़े को पुलिस सुरक्षा मांगने का अधिकार नहीं, जब तक वास्तविक खतरा न हो!
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि कोई युवक-युवती अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी करते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से या अधिकार के रूप में पुलिस सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते, जब तक कि उनके जीवन या स्वतंत्रता को कोई वास्तविक खतरा न हो। पढ़ने के लिए क्लिक करें