इटारसी। केसला ब्लाक में 2 माह से गौशाला का बोरवेल खराब है। महिला सरपंच ने केसला ब्लॉक की सीईओ को चार बार पत्र लिखकर शिकायत की लेकिन इस ओर अब तक ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
इस वजह से 95 गोवंश को पीने का पानी नहीं मिलने से उनकी जान संकट पर बना हुआ है। प्यासे मवेशियों की जान बचाने के लिए उन्हें गौशाला बाहर छोड़ा जा रहा हैं। यह स्थिति और कहीं नहीं बल्कि सिवनी मालवा विधानसभा की ग्राम पंचायत जमानी गौशाला झालपा में देखी जा रही है।
पुशुओं की हालात हुई कमजोर
मवेशियों को पानी नहीं मिलने से पुशुओं की हालात बेहद ही कमजोर हो गई हैं। जहां एक और प्रदेश सरकार गोवंश की सुरक्षा के लिए तमाम तरह वादे करती नजर आती है। वहीं दूसरी ओर गौशाला झालपा में स्थिति कुछ अलग ही देखने को मिल रही है।
2 माह से गौशाला का बोरवेल खराब
सडक़ों पर घूमने वाले गोवंश को सुरक्षित करने के लिए गौशालाओं का निर्माण तो कराया करा दिया गाया है। लेकिन यहां मवेशियों को लिए जरूरी सुविधाओं का अभाव है। गोशाला में जानवरों को पीने के लिए पानी तक का प्रबंध नहीं है। विगत 2 माह से गौशाला का बोरवेल खराब पड़ा हुआ है। मवेशी प्यास से तड़प रहे हैं।
ग्राम पंचायत जमानी की सरपंच श्रीमती कला कुमरे ने चार बार केसला की सीईओ वंदना कैथल को गौशाला पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के चलते पत्र लिखा है। इसके बावजूद भी नया बोरवेल नहीं हुआ है। इससे गौशाला में 95 मवेशियों पीने के पानी के लिए तड़प रहे हैं।
29 लाख से तैयार की थी गौशाला
गौशाला का संचालन महिला स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। इसकी शुरुआत सितंबर 2019 में की गई थी। 29 लाख की लागत से बनाई गई यह है गौशाला में वर्तमान में यहां 95 मवेशी रहते है। लेकिन फिलहाल गौशाला में पानी तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। बोरवेल ने दो महीने पहले दम तोड़ दिया।
गौशाला में टैंकर से पानी लाया जाता है अब एक टैंकर पानी 95 मवेशियों के कैसे पूरा पड़ेगा। इस संबंध में सीईओ वंदना कैथल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह ग्राम पंचायत को ही काम करना है। बोरवेल खनन के लिए पीएचई विभाग एसडीओ को पत्र लिखा है। जल्दी ही गौशाला में बोरवेल का खनन किया जाएगा।
टैंकर से आ रहा है पानी
सुखराम कुमरे जनपद सदस्य बताते हैं कि गौशाला का बोरवेल खराब पड़ा है। टैंकर से पानी बुलाना पड़ रहा है। बमुश्किल एक टैंकर 1000 से ₹500 में आता है। एक टैंकर पानी में 95 मवेशी बमुश्किल पानी पी रहे है। यह टैंकर भी कभी आता है तो कभी नहीं आता। प्यासे मवेशियों की प्यास बुझाने के लिए टैंकर चालकों के हाथ जोड़ना पड़ रहे है। किसी का मन होता है तो वह ₹500 में एक टैंकर पानी ला देता है नहीं तो ₹1000 भी देने पड़ रहे है। भूख, प्यास से मवेशियों की मौत भी हो रही है।
इलाज की भी नहीं है व्यवस्था
गौशाला में समय-समय पर पशु चिकित्सक द्वारा गोवंश की जांच होना चाहिए, लेकिन वह भी नहीं की जाती है। जिससे बीमार गाय, बछड़ों की इलाज के अभाव में भी जान चली जाती है। गौशाला में एक बीमार गाय पड़ी है, जो कुछ दिन ही दम तोड़ देगी।
बीस रुपए प्रति गोवंश मिलता है समूह को
गौशाला संचालक को बीस रुपए प्रति गोवंश के हिसाब से शासन द्वारा दिए जाते हैं और यह राशि भूसा के लिए दी जाती है, लेकिन इस समय भूसा 12 रुपए किलो है, जिससे मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है। गौशाला में सिर्फ गायों को भूसा ही दिया जा रहा है। चारे की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां मवेशियों की हालत बद से बदतर देखी जा सकती है।
गौवंश की गिरकर हो रही है मृत्यु
जनपद सदस्य सुखराम कुमरे ने बताया कि ग्राम पंचायत जमानी के झालपा में बनी गौशाला में दो तीन दिनों में एक मवेशी की गिरकर मर भी रहा है। गौशाला का फ्लोर पत्थर का होने से मवेशी स्लिप हो रहा है और गिर कर उनकी मौत भी हो रही है। स्व सहायता समूह काम करने वाली महिलाएं मवेशी उठा नहीं पाती है और उनकी मौत हो जाती है।
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