Bank Defaulter : जब कोई बैंक आरबीआई के नियमों के विरूध जाने लगती है तो आरबीआई ऐसे बैंकों का लाइसेंस रद्द (Bank Defaulter) कर देती है। या फिर आरबीआई बैंक के कार्यो पर प्रतिबंध लगा देती है। ऐसी परिस्थिति में सबसे ज्यादा फजीहत बैंक के ग्राहकों की होती है। क्योंकि बैंक में जमा आपका पैसा कैसे मिलेगा यह बात बहुत की कम लोगों को पता होती है। अगर बैंक दिवालिया (Bank Defaulter) हो जाए तो बैंक के डिपॉजिटर के पास एक ही राहत का रास्ता होता है, वो डिपॉजिट इंश्योरेंस की रकम। आपको बैंक के बैंकरप्ट (Bank Defaulter) होने की स्थिति में आपके डिपॉंिजट पर इंश्योरेंस की रकम मिलती है, हालांकि, हालांकि इसकी कुछ शर्ते होती है
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पाेरेशन देश के बैंकों का इंश्योरेंस करता है। इसके एक्ट के तहत डिपॉजिटर्स को उनके डिपॉजिट पर 5 लाख तक की इंश्योरेंस रकम मिलती है। यानी कि उनके अकाउंट में 5 लाख रुपये तक की रकम इंश्योर्ड रहती है। जैसे कि मान लीजिए कि जिस तारीख को आरबीआई किसी बैंक का लाइसेंस रद्द (Bank Defaulter) कर दे, या फिर बैंक का मर्जर/अमालगमेशन/रीकंस्ट्रक्शन हो रहा हो, तो ऐसे में उस तारीख में किसी ग्राहक के अकाउंट में जितना प्रिंसिपल और इंटरेस्ट अमाउंट होगा, उसमें से अधिकतम पांच लाख तक की रकम इंश्योर्ड रहेगी।
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट, करंट अकाउंट, रिकरिंग डिपॉजिट और दूसरे डिपॉजिट्स को कवर करता है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन की वेबसाइट के मुताबिक, अगस्त, 2022 के बाद के अपडेट में बताया गया है कि देश के कुल 2,035 बैंकों को यह इंश्योर्ड करता है।
कैसे पता चलेगा कि आपका बैंक इंश्योर्ड है या नहीं
जब डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन किसी बैंक के इंश्योरेंस के लिए उसका रजिस्ट्रेशन करता है तो उसे इसकी जानकारी लीफलेट पर छापकर देता है, इसमें बताया जाता है कि वो उस बैंक के डिपॉजिटर्स को किस तरह की सुरक्षा दे रहा है। इसके अलावा आप खुद अपने बैंक के ब्रांच पर जाकर वहां अधिकारियों से इसकी डिटेल्ड जानकारी मांग सकते हैं।