IAS Manoj Pushp Interview बंसल न्यूज अपने विशेष कार्यक्रम अफसरनामा में ऐसी हस्तियों से रूबरू कराता है जो प्रशासनिक सेवा में लगे हुए हैं। साथ ही समाज में एक अलग पहचान बनाए हैं। इसी कड़ी में हम आज आपको मिलवाने जा रहे हैं वर्ष 2011 बैच के आईएएस ऑफिसर रहे और वर्तमान में रीवा जिले के कलेक्टर मनोज पुष्प से। जिनसे अफसरनामा में खास बातचीत की, हमारे न्यूज हैड शरद द्विवेदी ने और जाना, कि आखिर वे कैसे इस क्षेत्र में आए और उनकी प्रेरणा क्या थी, उनका सफर कैसे शुरू हुआ, उनकी परिवार की पृष्ठ भूमि क्या रही है और इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होंने जीवन के किन परिस्थितियों का सामना किया। तो चलिए जानते हैं अफसरनामा में उनके जीवन के सफर के बारे में।
हेड शरद द्विवेदी : किशोरावस्था में आपके सपने क्या थे?
IAS मनोज पुष्प :
मेरे अंकल भारतीय प्रशासनिक सेवा में थे। तो ये एक परंपरा तो थी। पर ये एक ड्रायविंग फोर्स नहीं था। पिताजी चूंकि सरकारी नौकरी में थे। उनकी पदस्थापना जहां होती थी वहीं पढ़ाई करते थे। पहले बिहार का हिस्सा रहे बांका में हमारे पिताजी पदस्थ थे। वहां एक नए तत्कालीन IAS अफसर विजय कपूर की कार्यप्रणाली ने हमें प्रभावित किया। उस समय ही मन में भाव आए थे कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना है। इसी के बाद राज्य प्रशासनिक सेवा के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने का अवसर प्राप्त हुआ और यहां से प्रशासनिक सेवा का ये सफर शुरू हुआ।
हेड शरद द्विवेदी : युवाओं को कैरिएर के लिए आपका क्या मूलमंत्र है?
IAS मनोज पुष्प :
बड़ा ही मुश्किल होता है सपनों को देखना और उसे हकीकत में बदलना। लेकिन हमने जो महसूस किया है उसके अनुसार परिश्रम एक ऐसी चीज है जो आपको अचीवर बनाती है। कोई भी थ्योरी आ जाए या कोई भी शॉर्ट कट आ जाए। परिश्रम का कोई सानी नहीं है। किसी भी प्रतियोगिता की बात करें, जब तक हम अधिक परिश्रम नहीं करते हैं हमें सफलता नहीं मिलती है। 80 प्रतिशत सफलता हमारे प्रयास से ही मिलती है। हमारे प्रयास ही हमें जीवन में सफलता दिलाते हैं। बाकी बड़ों का आशीर्वाद और क्लिक फैक्टर है जो आपकी सफलता के पीछे काम करता है। ईश्वर और बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद भी इसके पीछे काम करता है। साथ—साथ पुण्य भी असर दिखाता आता है। इसलिए हमें बड़े—बुजुर्गों के साथ—साथ पुण्य भी अर्जित करते रहना चाहिए।
हेड शरद द्विवेदी : परिश्रम का रोड मैप किस तरह का होना चाहिए?
IAS मनोज पुष्प :
हमारे जीवन में बहुत सारी ऐसी परिस्थितियां बनती हैं जब विपरीत परिस्थितियों को संतुलित करना सबसे बड़ी चुनौती होती है। हमारे साथ भी ऐसी कई परिस्थिति बनी है। कई ऐसी स्थानों पर पोस्टिंग रही है। जहां पर परिस्थितियां विपरीत हो जाती हैं। पर ऐसे में मैंने जो एक चीज महसूस की है वह ये है कि इस स्थिति में संयुक्त परिवार का बहुत सपोर्ट होता है। जो विपरीत परिस्थितियों में से भी आयाम निकाल कर सभी की संतुष्टि के लिए काम किया करते थे। ये चीजें आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती थी। पर आज के समय में ये चीजें कम होती जा रही हैं। बच्चे आज के समय में ज्वांइट फैमिली को मिस करते हैं। इस कंडीशन में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनसे आप भले ही भौतिक रूप से साथ न हों। पर फिर भी कुछ युवा ऐसे हैं जो अपने नजदीकी रिश्वतेदारो के साथ अच्छी बॉंडिंग बना कर रखे हैं। ये जुड़ाव ही भविष्य में आपको किसी भी प्रकार की कठिनाइयों और परिस्थितियों से लड़ने के लिए बड़ा मददगार साबित होता है। इसके अलावा आपको खेल गतिविधियों में संलग्न होना चाहिए। क्योंकि ये गतिविधियां फैलियर्स और तनाव को दूर करने में बेहरतीन विकल्प साबित होती हैं। आईएएस ऑफिसर का युवाओं के लिए मंत्र जीवन में जीतने से ज्यादा हारना महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दौरान आने वाली असफलताएं हमें जीवन में अचानक आने वाली असफलताओं का सामना करने के लिए मजबूत स्थिति प्रदान करती हैं। इसलिए बच्चों को आउट डोर गेम्स जरूर खेलना चाहिए।
न्यूज हेड शरद द्विवेदी : कोरोना काल में विकट स्थिति में आपने कैसे इतना बड़ा निर्णय लिया?
IAS मनोज पुष्प :
कोरोना काल में मां को लेकर पूछे गए सवाल के जबाव में भावुक होते हुए कलेक्टर मनोज पुष्प ने बताया कि कोरोना काल की वह स्थिति बहुत विकट थी। सभी लोग कोरोना पॉजिटिव हो रहे थे। फिर उस दौरान सोचा कि जिस मां ने अपने जीवन ने अपना पूर्वार्ध संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के लिए निभाया है तो फिर हमारे कंधे पर तो पूरे जिले की जिम्मेदारी है। इसलिए एक मिनिट को भी मन में रंज नहीं हुआ। एक दो घंटे में उनकी अंतिम यात्रा की प्रक्रिया पूरी की। मां हमेशा हमारे लिए आदर्श रहीं हैं। यही कारण रहा है कि कोरोनाकाल में कर्तव्यों को प्राथमिकता दी।
न्यूज हेड शरद द्विवेदी : आपके जीवन में जीवन संगिनी का योगदान कैसा रहा?
IAS मनोज पुष्प :
1995 में जॉब शुरू की। 1998 में मेरी शादी हुई। उसके बाद से आज तक परिवार की पूरी जिम्मेदारी पत्नी ने निभाई है। उन्हीं का साथ है कि हम अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। परिवार और बच्चे की जिम्मेदारी तो सभी निभाते हैं। लेकिन परिवार के अलावा रिश्तेदारों द्वारा भी समस्याओं के समाधान के लिए पहले धर्मपत्नी को बताया जाता है।
न्यूज हेड शरद द्विवेदी : आपके अनुसार परिश्रम का क्या फॉर्मूला होना चाहिए?
IAS मनोज पुष्प :
सबसे पहले कैरिएर का सिलेक्शन सही होना चाहिए। कि आपको जीवन में क्या करना है। युवाओं को उस सब्जेक्ट का चयन करना चाहिए। जिसमें आपकी रुचि हो। किसी के कहने पर विषयों का चयन कतई न करें। किसी भी विषय की तैयारी करने के पहले सिलेबस को ध्यान से चैक करें। बीते करीब 5 सालों के पेपर निकालकर ट्रेंड चेक करें। इससे एक समझ विकसित होती है। एक बार पूरे सिलेबस की आधार भूत समझ विकसित होती है। एक रीडिंग पूरे सिलेबस की जरूर लेनी चाहिए। खुद से बैठकर निर्धारित समय में प्रश्न पत्र को लिखकर खुद से जांच करें। कि क्या हम इससे बेहतर कर सकते हैं। वो इसलिए क्योंकि हमारे पास समय सीमा निर्धारित होती है। साथ ही लिखने का अभ्यास होनी चाहिए। आपके बचपन के मित्र और अपनी हॉबी को कभी नहीं छोड़नी चाहिए।