रिपोर्ट- आलोक राय, लखनऊ
IAS Amit Kumar Ghosh: वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमित कुमार घोष एक बार फिर उत्तर प्रदेश कैडर में लौट आए हैं। भारत सरकार ने उन्हें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में अतिरिक्त सचिव पद से मुक्त कर उनके मूल राज्य उत्तर प्रदेश कैडर में वापस भेजने का निर्णय लिया है। वर्ष 1994 बैच के इस अनुभवी अधिकारी की वापसी को राज्य प्रशासन के लिए एक सशक्त कदम माना जा रहा है, क्योंकि अमित कुमार घोष ने पूर्व में भी कई अहम पदों पर रहते हुए प्रशासनिक दक्षता का परिचय दिया है।
मायावती शासन में रह चुके हैं लखनऊ के डीएम
अमित कुमार घोष (IAS Amit Kumar Ghosh) का प्रशासनिक करियर काफी विविधतापूर्ण रहा है। मायावती सरकार के दौरान वे लखनऊ के जिलाधिकारी रह चुके हैं, जहाँ उन्होंने शहर के विकास और कानून व्यवस्था के कई मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (UPSIDC) के प्रबंध निदेशक के तौर पर भी उन्होंने महत्वपूर्ण परियोजनाओं का संचालन किया। हालांकि, उनके कुछ निर्णयों को लेकर विवाद भी हुए, लेकिन समग्र रूप से उनकी कार्यशैली और निष्पक्ष प्रशासन की सराहना की जाती रही है।
सामाजिक न्याय विभाग में अनुभव का लाभ अब यूपी सरकार को मिलेगा
केंद्र में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में अतिरिक्त सचिव के तौर पर अमित कुमार घोष ने वंचित वर्गों से जुड़े कई अहम योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाई। उनके इस अनुभव का लाभ अब उत्तर प्रदेश सरकार को सीधे तौर पर मिल सकता है, खासकर जब राज्य सरकार सामाजिक समावेशन और जनकल्याण की योजनाओं को जमीनी स्तर पर सशक्त करने की दिशा में अग्रसर है।
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UP में प्रशासनिक ढांचे को मिलेगी मजबूती
सूत्रों के अनुसार, केंद्र में उनकी (IAS Amit Kumar Ghosh) प्रतिनियुक्ति की निर्धारित अवधि समाप्त हो गई थी, जिसके बाद उन्हें मूल राज्य कैडर में वापस भेजा गया है। यूपी सरकार में उनकी संभावित पोस्टिंग को लेकर अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन प्रशासनिक हलकों में माना जा रहा है कि उन्हें जल्द ही कोई प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। उनके अनुभव और प्रशासनिक समझ को देखते हुए, उनकी वापसी को यूपी के अफसरशाही के लिए सकारात्मक बदलाव माना जा रहा है।