Hypersonic Missile: भारत ने हाल ही में डॉ. एपीज अब्दुल कलाम द्वीप से एक नई एंटी शिप मिसाइल की सफल टेस्टिंग की थी, जो एक हाईपरसोनिक मिसाइल है।
इस मिसाइल ने हथियारों के मामले में भारत की ताकत को सौ गुना बढा दिया है, क्योंकि इसके साथ भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिसके पास हाईपरसोनिक मिसाइलें हैं।
यह मिसाइल भारत के लिए इसलिए और भी खास है, क्योंकि इसके पास वह रेंज है जिसकी तलाश शायद दूसरे देश अभी सोंच ही रहे हैं।
बता दें, इस खतरनाक मिसाइल की रफ्तार एक घंटे में 11,113.2 किमी/घंटा है यानि यह एक सेकेंड में 3.087 किमी। वहीं, इसके रेंज में लगभग आधा चीन और पूरा पाकिस्तान आ सकता है।
ये है मिसाइल की सटीक रेंज
बचा दें, इस दमदार मिसाइल (Hypersonic Missile) की सटीक रेंज लगभग 1500 किमी से थोड़ी ज्यादा है और इसे कवर करने के लिए इसे मात्र 8 मिनट लेगेंगे।
इस तरह अगर क़ायदे से अगर देखा जाए तो यह दिल्ली से इस्लामाबाद 690 किमी, कराँची 1100 किमी और कोलकाता से ढाका 250 किमी और चिट्टेगॉन्ग 370 किमी को आसानी से 6-7 मिनट में तबाह कर सकता है।
भारत और पाकिस्तान सीमा से तो यह पाक का कोई भी शहर टारगेट कर सकता है, यानि पूरा पाकिस्तान। वहीं हिमालय की ओर से इसेदागा जाए तो लगभग 45 प्रतिशत चीन इसके टारगेट पर होगा।
इसके साथ ही अब रुस और चीन के बाद एशिया में भारत की धाक बढ गई है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल की एक और खासियत है कि यह अलग-अलग रेंज के कई तरह के हथियारों को ले जाने में सक्षम है।
वही अगर हथियार का वजन कम हो तो इसकी रेंज 1500 किमी से ज्यादा होगी। गौर करने वाली बात है कि इस मिसाइल को ट्रैक करना और कंट्रोल करना भी संभव है यानि दुश्मन चाहकर भी इसे टारगेट नहीं कर सकता।
ऐसा माना जा रहा है कि इस खतरनाक मिसाइल को क्षेत्रीय समुद्री इलाकों में सुरक्षा के लिए तैनाती की जा सकती है।
क्या होतें हैं हाइपरसोनिक मिसाइल?
आपकी जानकारी के लिए बता दें, हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) वो होती हैं, जिनकी गति ध्वनि से पाँच गुना ज्यादा होती है। अगर सीधे तौर पर कहा जाए तो इनकी कम से कम गति 6100 किमी प्रतिघंटा होती है।
साथ ही इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक और ताकतवर होती है कि इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना लगभग असंभव होता है।
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बाकी मिसाइलों से किस तरह अलग हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें?
बताते चलें, अगर क्रूज मिसाइलों या बैलिस्टीक मिसाइलों को ध्वनि की गति से पाँच गुना बढाकर 6100 किमी कर दी जाए और साथ ही स्वतः दिशा बदलने लायक यंत्र लगा दिए जाएं तो यह हाइपरसोनिक मिसाइलों की रेंज में आ जाती हैं।
आम तौर पर हाइपरसोनिक मिसाइलें दो प्रकार की होती हैं। पहला-ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले और दूसरा- क्रूज मिसाइल।
फिलहाल इस तरह की हाइपरसोनिक मिसाइलें अमेरिका, रुस और चीन के पास हैं। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया भी इस क्षेत्र में विकास कर चुका है, लेकिन इसकी पुष्टी नहीं हुई है।