पटना। स्कूली शिक्षक की नौकरी के लिए अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को भी आवेदन की अनुमति देने वाले बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ शनिवार को राजधानी पटना की सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में युवाओं ने प्रदर्शन किया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारी युवाओं के खिलाफ बल प्रयोग किया। पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने बताया कि प्रशासन की अनुमति के बगैर प्रदर्शन करने के कारण दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।
पुलिस ने 20 लोगों को हिरासत में लिया
मिश्रा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘गांधी मैदान और कोतवाली थानों में एक-एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और अब तक 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी और हिरासत में लिए जाने वालों की संख्या बढ़ सकती है।’
यातायात रहा प्रभावित
प्रदर्शनकारी गांधी मैदान के पास जमा हुए और डाक बंगला चौराहे की ओर बढ़ने लगे जिसके कारण करीब एक किलोमीटर लंबा जाम लग गया। डाक बंगला चौराहे पर युवाओं ने विशाल प्रदर्शन किया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ।
पुलिस ने किया बल प्रयोग
यहां तक कि पुलिस को उन्हें भगाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा और कुछ लोगों को हिरासत में लेना पड़ा। पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शन कर रहे युवाओं को समझाने का प्रयास किया कि उनका यह कदम गैरकानूनी है और इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।
प्रदर्शनकारी युवा जब उच्च न्यायालय, मुख्यमंत्री आवास और राजभवन की ओर जाने वाले बेली रोड पर आगे बढ़ने लगे तो पुलिस ने उनपर लाठियां बरसायीं। सीटीईटी और बीटीईटी जैसी पात्रता परीक्षाएं पास करने का दावा करने वाले प्रदर्शनकारी युवाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस कार्रवाई सरकार की असंवेदनशीलता और उदासीनता को दर्शाती है।
बेगूसराय जिले की निवासी अभ्यार्थी पूजा सिंह ने कहा, ‘‘क्या इन लोगों को शर्म नहीं आती? हम पढ़े-लिखे लोग हैं और अपनी जायज मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। फिर भी ये बल प्रयोग कर रहे हैं और हमें गिरफ्तार कर रहे हैं जैसे कि हम अपराधी हैं।’’ प्रदर्शन में शामिल एक अन्य अभ्यर्थी ने दूसरे राज्यों में नौकरियों के लिए जाने पर बिहारी अभ्यर्थियों के साथ होने वाले व्यवहार के बारे में बात करते हुए आरोप लगाया कि सरकार अपने ही लोगों की रक्षा करने में असफल रही है।
नो डोमिसाइल नीति का हो रहा विरोध
बता दें कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में शिक्षकों की भर्ती के लिए ‘नो डोमिसाइल’ नीति अपनाने की घोषणा की थी, जिसके बाद विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने इसका विरोध किया था।
भाकपा (माले) महागठबंधन सरकार का बाहर से समर्थन करती है। राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के एक बयान के बाद हालात और बिगड़ गए, जिसमें उन्होंने कहा था कि ये नीति राज्य में प्रतिभाशाली लोगों की कमी के मद्देनजर लाई गई है।
हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता राजीव रंजन ने दावा किया कि विभिन्न राज्यों द्वारा लायी गई ‘अधिवास नीति’ को अदालत ने खारिज कर दिया है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा 23 जून को ‘‘विपक्ष की एकता के समर्थन’’ से हताश है और ‘‘युवा अभ्यर्थियों को उकसा कर और भड़का कर’’ बिहार में अपनी खोई हुई जमीन पाना चाहती है। इसबीच, भाजपा ने शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के पक्ष में 13 जुलाई को ‘विधानसभा’ मार्च निकालने की घोषणा की है।
मानसून सत्र 10 जुलाई से शुरु
राज्य में विधानसभा का मानसून सत्र 10 जुलाई से शुरु हो रहा है। विधानसभा में भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि बीते 30 वर्षों में बिहार में शिक्षा की दुर्गति हुई है, जिसे 2005 तक पहले 15 साल के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बर्बाद किया और उसके बाद नीतीश कुमार ने उसे बर्बाद करने का काम किया।
नीतीश के साथ एक साल पहले तक सत्ता साझा करने वाली भाजपा के नेता ने ‘चरवाहा विद्यालय’ योजना को लेकर राजद प्रमुख तंज कसा और आरोप लगाया कि यह शिक्षा के प्रति सत्तारूढ़ दल के तुच्छ रवैये को दर्शाता है।
इसी संवाददाता सम्मेलन में बिहार में भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि ‘विधानसभा मार्च’ गांधी मैदान से शुरू होगा जिसमें शिक्षकों और अभ्यर्थियों की अन्य मांगों का भी समर्थन किया जाएगा।
चौधरी ने कहा, ‘‘राज्य के लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाने वाली लंबी परीक्षा प्रक्रिया के बजाय हम ‘सीटेट’ (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) और ‘बीटेट’ (बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास अभ्यर्थियों की शिक्षक के रूप में सीधी भर्ती की मांग का समर्थन करते हैं।’’
भाकपा (माले) लिबरेशन के विधायक दल के नेता महबूब आलम ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी नौकरी पाने के अभ्यर्थियों के प्रदर्शन का सैद्धांतिक रूप से समर्थन करते हैं और राज्य सरकार से डोमिसाइल वाला नियम वापस लेने का अनुरोध किया है।
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