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Mathura Banke Bihari Temple Issue: सुप्रीम कोर्ट का UP सरकार को झटका, अब अंतरिम कमेटी संभालेगी मंदिर की व्यवस्था

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Preeti Dwivedi
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Mathura Banke Bihari Temple Issue: बांके बिहारी मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका देते हुए अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।

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कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मंदिर के प्रबंधन और प्रशासन की जिम्मेदारी एक अंतरिम कमेटी को दी जाएगी, जिसकी अगुवाई हाई कोर्ट (High Court)  के सेवानिवृत्त जज करेंगे।

 रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में अंतरिम कमेटी बनेगी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर के प्रबंधन और प्रशासन की जिम्मेदारी एक अंतरिम कमेटी को दी जाएगी, जिसकी अगुवाई हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज करेंगे।

 कमेटी में प्रशासन, सेवायत और गोस्वामी शामिल होंगे

इस कमेटी में प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों के साथ-साथ मंदिर के सेवायत और गोस्वामी भी रहेंगे।

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 मंदिर और आसपास के विकास की जिम्मेदारी

कमेटी न केवल मंदिर के कामकाज की देखरेख करेगी, बल्कि आसपास होने वाले विकास कार्यों को भी संभालेगी।

 हाई कोर्ट तय करेगा अध्यादेश की वैधता

उत्तर प्रदेश सरकार के उस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता पर फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट करेगा। तब तक पुरानी समिति का संचालन रोक दिया जाएगा।

 पुराने आदेश में बदलाव के संकेत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अपने 15 मई के आदेश को बदल सकता है, जिसमें मंदिर का पैसा कॉरिडोर निर्माण में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी।

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 नई कमेटी को खर्च का अधिकार

नई कमेटी यह तय करेगी कि मंदिर का पैसा आसपास के विकास कार्यों में खर्च किया जाए या नहीं।

 तत्काल मदद के लिए विशेष अधिकार

अगर मंदिर या आसपास के विकास के लिए तुरंत मदद की जरूरत होगी, तो कमेटी को निर्णय लेने का पूरा अधिकार होगा।

 मामला मथुरा के प्रसिद्ध मंदिर से जुड़ा

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यह विवाद मथुरा स्थित ठाकुर श्री बांके बिहारी जी महाराज मंदिर से जुड़ा है, जहां कई याचिकाओं में अध्यादेश को चुनौती दी गई है।

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SC ने लिया अंतरिम कमेटी बनाने का फैसला 

बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम कमेटी बनाने का फैसला किया है, जो मंदिर के साथ-साथ आसपास के विकास कार्यों की भी जिम्मेदारी संभालेगी। इस समिति की अध्यक्षता हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे और इसमें प्रशासनिक अधिकारी, मंदिर के सेवायत और गोस्वामी भी शामिल होंगे। कोर्ट ने कॉरिडोर निर्माण में मंदिर का पैसा इस्तेमाल करने के अपने पुराने आदेश को वापस लेने के भी संकेत दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश की वैधानिकता से जुड़े मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का निर्णय लिया है और हाई कोर्ट के फैसला आने तक अध्यादेश के तहत बनी समिति का संचालन स्थगित रहेगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित नई समिति मंदिर के पैसे के इस्तेमाल पर फैसला लेगी और सभी पक्ष अपनी बात समिति के सामने रख सकेंगे।

कैसे हुई विवाद की शुरुआत

[caption id="attachment_874531" align="alignnone" width="889"]मथुरा का बांके बिहारी मंदिर ब्रज क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध और भीड़भाड़ वाले मंदिरों में से एक है। मथुरा का बांके बिहारी मंदिर ब्रज क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध और भीड़भाड़ वाले मंदिरों में से एक है।[/caption]

  • मथुरा का बांके बिहारी मंदिर ब्रज क्षेत्र के सबसे प्रसिद्ध और भीड़भाड़ वाले मंदिरों में से एक है।

  • लंबे समय से मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी सेवायत परिवार (गोस्वामी) के पास रही है।

  • यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, और भीड़ प्रबंधन, सुविधाओं की कमी, सुरक्षा व विकास कार्यों को लेकर बार-बार शिकायतें होती रही हैं।

 यूपी सरकार का अध्यादेश

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  • 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश (Ordinance) जारी किया।

  • इसके तहत मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन का नियंत्रण सीधे राज्य सरकार के अधीन आने वाली एक समिति को सौंपने का प्रावधान किया गया।

  • सरकार का तर्क था कि भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, और विकास कार्य बेहतर ढंग से करने के लिए यह कदम जरूरी है।

  • लेकिन मंदिर के सेवायत और कुछ अन्य पक्षकारों ने इसका विरोध किया, यह कहते हुए कि यह मंदिर की परंपराओं और अधिकारों का हनन है।

 मामला कोर्ट में पहुँचा

  • सेवायत परिवार और अन्य पक्षकारों ने इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में चुनौती दी।

  • उनका कहना था कि मंदिर एक निजी धार्मिक संपत्ति है और सरकार इसमें सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

  • साथ ही, मंदिर की आय और दान का इस्तेमाल केवल धार्मिक व पारंपरिक कार्यों के लिए होना चाहिए, न कि सरकारी योजनाओं के लिए।

 सुप्रीम कोर्ट का पुराना आदेश

  • मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के पैसों से बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण की अनुमति दे दी थी, ताकि भीड़ नियंत्रण और सुविधाओं में सुधार हो सके।

  • इस आदेश का भी सेवायत पक्ष ने विरोध किया।

 अब क्या हुआ है

  • 9 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह:

    • अपने पुराने आदेश (जिसमें मंदिर का पैसा कॉरिडोर निर्माण में लगाने की अनुमति दी थी) को वापस ले सकता है।

    • हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक अंतरिम कमेटी बनाएगा, जो मंदिर का प्रबंधन और आसपास के विकास कार्य देखेगी।

    • इस कमेटी में प्रशासनिक अधिकारी, सेवायत और गोस्वामी भी शामिल होंगे।

    • यूपी सरकार के अध्यादेश की वैधता पर फैसला अब इलाहाबाद हाई कोर्ट करेगा।

    • हाई कोर्ट के निर्णय तक सरकार द्वारा बनाई गई पुरानी समिति का संचालन स्थगित रहेगा।

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