10 Years of Kedarnath Disaster: उत्तराखंड की देवभूमि और भगवान शिव के धाम केदारनाथ की महिमा अलग है वहीं पर आज से 10 साल पहले 2013 में आई खतरनाक तबाही ने देश की आंखे नम कर दी थी। ऐसे में आपदा के इन 10 सालों में केदारनाथ में क्या-क्या बदला। आइए जानते है।
तबाही में समा गए थे कई लोग
यहां पर बताते चले कि, केदारनाथ में यह आपदा 6-17 जून 2013 को आई खी इस दौरान आपदा में बड़ी तादाद में मौत हुई थी। तबाही का मंजर ऐसा रहा कि, सैलाब के रास्ते में आए सैकड़ों घर, रेस्टोरेंट और हजारों लोग बह गए। जब इस जलप्रलय के बारे में पता लगा तो पूरा देश शोक में डूब गया। आपदा में 4700 तीर्थ यात्रियों के शव बरामद हुए। जबकि पांच हजार से अधिक लापता हो गए थे। इतना ही नहीं आपदा के कई वर्षों बाद भी लापता यात्रियों के कंकाल मिलते रहे।
कितना बदला केदार
आपको बताते चले कि, भले ही केदारनाथ बहुत बड़ी त्रासदी से गुजर चुका है लेकिन यहां पर हर साल और रोजाना करीब 20 हजार भक्त पहुंच रहे हैं। अब धाम में पहले के मुकाबले काफी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। केदारनाथ धाम भव्य हो गया है। चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार बनाई गई है। मंदाकिनी व सरस्वती नदी में बाढ़ सुरक्षा कार्य किए गए हैं। इतना ही नहीं केदारनाथ यात्रा के पहले पड़ाव गौरीकुंड से लेकर धाम तक की पैदल दूरी अब 19 किलोमीटर हो गई है, लेकिन यह मार्ग तीन से चार मीटर चौड़ा किया गया है। इसके अलावा अब तक के बदलाव में 2022 के बाद अब इस वर्ष 2023 भी तीर्थ यात्रियों का सैलाब उमड़ रहा है और प्रतिदिन 20 हजार से अधिक तीर्थयात्री दर्शन को पहुंच रहे हैं।