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आजीवन कारावास की सजा कितने साल है? जानिए क्या कहता है कानून

आजीवन कारावास की सजा कितने साल है? जानिए क्या कहता है कानून How many years is the sentence of life imprisonment? Know what the law says nkp

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Bansal Digital Desk
आजीवन कारावास की सजा कितने साल है? जानिए क्या कहता है कानून

नई दिल्ली। हाली ही में केरल के कोल्लम सेशन कोर्ट ने सांप से कटवाकर अपनी पत्नी को मारने के आरोप में पति को दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई। इस फैसले के बाद लोग सवाल पूछ रहे हैं कोर्ट ने ऐसा क्यो किया? उन्हें लग रहा है कि उम्रकैद का मतलब 14 साल की सजा है इस कारण से कार्ट ने दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई। ज्यादातर लोगों को भी यही लगता है कि उम्रकैद की सजा महज 14 साल ही है। लेकिन इसकी सच्चाई क्या है आज हम यही जानने की कोशिश करेंगे।

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गंभीर अपराधियों को दी जाती है यह सजा

बतादें कि आजीवन कारावास या उम्रकैद की सजा गंभीर अपराधियों को दी जाती है। IPC 1860 में अपराधों के दंड के विषय में विस्तार से बताया गया है। इसी प्रकार IPC की धारा 53 में दंड कितने प्रकार के होते हैं इसके बारे में बताया गया है। भारतीय दंड संहिता कुल पांच तरह के दंड का प्रावधान करती है। मृत्युदंड, आजीवन कारावास, कारावास, संपत्ति का समपहरण और जुर्माना।

आजीवन कारावास को लेकर भ्रांतियां है

हालांकि, सबसे ज्यादा आजीवन कारावास की अवधि को लेकर भ्रांतियां हैं जैसे कि आजीवन कारावास 14 साल या 20 साल का होता है? बतादें कि यह सब गलतफहमी है, बतादें कि आजीवन कारावास का अर्थ है कि सजा पाने वाला व्यक्ति अपने बचे हुए जीवनकाल तक जेल में रहेगा। जब भी कोई कोर्ट किसी अपराधी को आजीवन कारावास की सजा सुनाती है तो इसका अर्थ है कि सजा पाने वाला व्यक्ति अंतिम सांस तक जेल में रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में इसकी व्याख्या की है।

कई बार 14-20 साल बाद लोगों को रिहा कर दिया जाता है

कई बार देखा गया है कि आजीवन कारावास पाए गए व्यक्ति को 14 साल या 20 साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया जाता है। तो बतादें कि राज्य सरकारें एक निश्चित मापदंड के आधार पर किसी व्यक्ति की सजा कम करने की शक्ति रखती है। यही कारण है कि हम कई बार ये सुनते हैं कि आजीवन कारावास की सजा काट रहा व्यक्ति 14 साल बाद या 20 साल बाद रिहा हो गया। भारतीय दंड संहिता की धारा 55 और 57 में सरकारों को दंडादेश में कमी करने का अधिकार दिया गया है।

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गणना में आजीवन कारावास को 20 साल के बराबर माना जाता है

इसी प्रकार भारतीय दंड संहिता की धारा 57 किसी प्रयोजन हेतु आजीवन कारावास की गणना के संबंध में है। धारा 57 कहती है, दंडाविधियों की भिन्नों की गणना करने में, आजीवन कारावास को बीस वर्ष के कारावास के तुल्य गिना जाएगा। हालांकि इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि आजीवन कारावास 20 साल का ही होता है, बल्कि यदि कोई गणना करनी हो तो आजीवन कारावास को 20 साल के बराबर माना जाता है। गणना करने की आवश्यकता उस स्थिति में होती है। जब किसी को दोहरी सजा सुनाई गई हो या किसी को जुर्माना न भरने की स्थिति में अतिरिक्त समय के लिए कारावास में रखा जाता है।

सरकार इस सजा को कम कर सकती है

जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि आजीवन कारावास का मतलब है कि जब तक अपराधी जिंदा है तब तक वह जेल में ही रहेगा। लेकिन सरकार इस सजा को कम कर सकती है। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (Crpc) की धारा 433 में समुचित सरकार द्वारा दंडादेश के लघुकरण का प्रावधान किया गया है। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (Crpc) की धारा 433 कहती है, "दंडादेश के लघुकरण की शक्ति —समुचित सरकार दंडादिष्ट व्यक्ति की सम्मित के बिना

(क) मृत्युदंडादेश का भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) द्वारा उपबिन्धत किसी अन्य दंड के रूप में लघुकरण कर सकती है।

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(ख) आजीवन कारावास के दंडादेश का, चौदह वर्ष से अनिधक अविध के कारावास में या जुमाने के रूप में लघुकरण कर सकती है।

(ग) कठिन कारावास के दंडादेश का किसी ऐसी अवधि के सादा कारावास में जिसके लिए वह व्यक्ति दंडादिष्ट किया जा सकता है, या जुर्माने के रूप में लघुकरण कर सकती है।

(घ) सादा कारावास के दंडादेश का जुर्माने के रूप में लघुकरण कर सकती है।

उक्त प्रावधान के तहत सरकार को सज़ा का लघुकरण करने की शक्ति प्राप्त है। अच्छे आचरण के आधार पर आजीवन कारावास की सज़ा पाने वाले कई ऐसे लोगों को कई साल की सज़ा के बाद सरकार उनकी सज़ा का लघुकरण करते हुए उन्हें रिहा करती है।

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