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Marathi Poet Namdev Dhondo Mahanor: क्यों 'सीताफल' के बजाय 'लताफल' कहते थे लोग, जाने लता मंगेशकर से जुड़ा कनेक्शन

प्रसिद्ध मराठी कवि, गीतकार और किसान नामदेव धोंडो महानोर (81) अक्सर इस बात का जिक्र किया करते थे।

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Bansal News
Marathi Poet Namdev Dhondo Mahanor: क्यों 'सीताफल' के बजाय 'लताफल' कहते थे लोग, जाने लता मंगेशकर से जुड़ा कनेक्शन

औरंगाबाद। Marathi Poet Namdev Dhondo Mahanor: प्रसिद्ध मराठी कवि, गीतकार और किसान नामदेव धोंडो महानोर (81) अक्सर इस बात का जिक्र किया करते थे कि कैसे उनके खेत में उगने वाले सीताफल का नाम महान गायिका लता मंगेशकर के नाम पर रखा गया। पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि बड़ी संख्या में लोग इस फल को 'सीताफल' के बजाय 'लताफल' कहते हैं।

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इस वजह से बदला सीताफल का नाम

उन्होंने बताया था कि विश्व प्रसिद्ध अजंता गुफाओं के पास उनके पलासखेड़ा गांव में भूमि बंजर होने और कभी-कभी जानवरों द्वारा फसल को नष्ट कर दिये जाने के बावजूद उनके खेत में उगाए गए सीताफल के आकार और स्वाद में कोई बदलाव नहीं आया। महानोर को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा था, 'यह सीताफल, भारत रत्न लता मंगेशकर की तरह सभी बाधाओं का सामना करने में सक्षम है जिन्होंने बहुत कम उम्र में अपने पिता को खोने के बावजूद अपने भाई-बहनों की देखभाल की और कड़ी मेहनत के बदौलत शिखर तक पहुंची।'

क्या कहते थे महानोर

महानोर ने कहा था, 'इसलिए मैंने सीताफल की इस किस्म का नाम लता के नाम पर नहीं रखा कि उन्होंने जैत रे जैत और अन्य फिल्मों में मेरे लिखे गाने गाए हैं, बल्कि यह नाम इसलिए रखा, क्योंकि तमाम बाधाओं का सामना करने के बाद भी लता दीदी की आवाज में इस फल की तरह ही अद्धितीय मिठास है।'

सर्जरी के बाद मिलने पहुंची थी लता मंगेशकर

महानोर ने कहा था कि पहले इस फल को केवल खेत और उसके आसपास के इलाके में 'लताफल' कहा जाता था, लेकिन 1990 के बाद से लगभग सभी लोग इसे इसी नाम से बुलाने लगे। उन्होंने बताया था कि पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में उनकी दो सर्जरी के दौरान लता मंगेशकर उनसे मिलने आई थीं। महानोर, राज्य विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं।

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आज हुआ प्रसिद्ध कवि का निधन

आपको बताते चले,  प्रसिद्ध मराठी कवि और गीतकार नामदेव धोंडो महानोर का बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण बृहस्पतिवार सुबह पुणे के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार और कई अन्य नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया । महानोर के पोते शशिकांत महानोर ने बताया कि वह पिछले कुछ दिन से यहां रुबी हॉल क्लीनिक में भर्ती थे तथा वेंटिलेटर पर थे।

वह ना धो महानोर के नाम भी जाने जाते थे। उनका जन्म 1942 में हुआ और उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह राज्य विधान परिषद के सदस्य भी रहे थे। उन्होंने ‘जगाला प्रेम अर्पावे’, ‘गंगा वाहू दे निर्मल’ और ‘दिवेलागणीची वेल’ समेत कई मशहूर कविताएं तथा गीत लिखे तथा ‘एक होता विदुषक’, ‘जैत रे जैत’, ‘सर्जा’ तथा अन्य मराठी फिल्मों के लिए गीत भी लिखे।

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