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Automatic Driving Test:ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कैसे होता है ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक टेस्‍ट, फेल होने पर होगा अप्‍लाई?

Automatic Driving Test: RTO में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आने के बाद सरकार ने ट्रेक को फुली ऑटोमेटिक कर दिया है।

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Bansal news
Automatic Driving Test:ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कैसे होता है ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक टेस्‍ट, फेल होने पर होगा अप्‍लाई?

Automatic Driving Test: RTO में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आने के बाद सरकार ने इसे फुली ऑटोमेटिक कर दिया है, जब से ड्राइविंग लाइसेंस बनबाने के लिए ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट शुरू हुआ हैा

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उसके बाद से 50 से 60 फीसदी लोग ही टेस्ट पास कर पाते हैं। जब RTO ऑफिस में ऑटोमेटिक टेस्ट नहीं होता था, तब 90 प्रतिशत तक लोग DL (Driving license) के टेस्ट में पास हो जाते थे।

इस तरीके में मशीन ही टेस्ट देने वाले व्यक्ति को पास या फेल करती हैं।

[caption id="attachment_328620" align="alignnone" width="473"]publive-image Automatic Driving Test[/caption]

भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बनाया ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक

DL (Driving license) के लिए आपने RTO ऑफिस के मैदान में बहुत से लोगों को टू-व्हीलर और फोर व्हीलर के अलावा कमर्शियल वाहन चलाते हुए देखा होगा।

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बिना टेस्ट के RTO वाहन चालकों को लाइसेंस नहीं जारी करता है। ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट से पहले RTO ऑफिस में दलाल सक्रिय रहते थे, जो बिना टेस्ट दिए भी आपको DL दिला देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

अब जिसे भी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना होता है, उसे पहले ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट देना पड़ता है।

एक बार फेल होने के बाद क्‍या होगा?

वाहन चालक व्‍यक्ति यदि ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्‍ट पास कर लेता है तो उसे ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाता है और अगर वो फेल होता है तो उसे कुछ दिनों के बाद दोबारा ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर ही टेस्ट देना होगा।

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जिसमें पास होने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस मुहैया कराया जाएगा। यदि आप पहली, दूसरी या तीसरी बार ऑटोमेटिक ट्रेक पर फेल होते हैं, तो आप स्लॉट मिलने पर दोबारा 7 दिनों के बाद टेस्ट दे सकते है। इसके लिए आपको अलग से कुछ फीस भी देनी पड़ सकती है।

[caption id="attachment_328609" align="alignnone" width="489"]publive-image Automatic Driving Test[/caption]

कैसे होते हैं ट्रैक

DL (Driving license) टेस्ट ट्रैक पर कई एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें एक्सेस कंट्रोल, एंट्री एग्जिट, फुल्ली आटोमेटिक टेस्ट ट्रैक, वीडियो एनालिटिक्स टेक्नोलॉजी, एग्जिट कॉरिडोर ईच टेस्ट ट्रैक, जैसी आधुनिक टेक्‍नोलॉजी शामिल होती है।

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केमरे की नजर में टेस्ट

DL (Driving license)टेस्ट ट्रैक पर आवेदकों को 10 मिनट का समय दिया जाता है। ये ट्रैक पूरे 2 हिस्सों में डिवाइड होता है, जहां एक छोटा सा हिस्सा दोपहिया आवेदकों के लिए है।

वहीं दूसरा बड़ा हिस्सा चार पहिया वाहन के लिए है। टेस्टिंग के दौरान ट्रैफिक सिग्नल, मोड, रिवर्ड मोड ट्रैक होता है। जहां आवेदकों को अपनी ड्राइविंग कला का प्रदर्शन करने का मैका दिया जाता है।

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