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ब्रज की होली में खास है लट्ठमार होली, कैसी हुई थी इसकी शुरुआत

Holi Celebration in Braj: ब्रज में होली फूल और गुलाल से खेली जाती है तो, ब्रजवासी लठमार होली तक खेलते हैं।

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Bansal news
ब्रज की होली में खास है लट्ठमार होली, कैसी हुई थी इसकी शुरुआत

Holi Celebration in Braj: ब्रज में होली आज भी पूरे जोश और परंपरा के साथ मनाई जाती है। यहां होली कई दिन पहले शुरू हो जाती है और कई तरह से मनाई जाती है। ब्रज में होली फूल और गुलाल से खेली जाती है तो, लठमार  होली  की विशेष परम्परा है। आइए आपको बताते हैं की क्यों खास है ब्रज की लट्ठमार होली, कैसी हुई थी इसकी शुरुआत।

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होली के जितने रंग, समझ लिजिए देश भर में उसे मनाने के उतने ही ढंग और तरीके हैं। हर प्रदेश में होली मनाने के कुछ अलग रिवाज हैं आज हम आपको ब्रज की होली (Holi Celebration in Braj) के बारे में बताएंगे।

   कैसा होता है ब्रज में होली का उत्सव (Holi Celebration in Braj)

Holi Celebration in Braj

ब्रज की होली(Holi Celebration in Braj) दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां जितने जोश और उमंगों में होली खेली जाती है, वैसा रंग दुनिया में कहीं नहीं देखा जाता। रंगों की होली, गुलाल की होली, लट्ठमार होली, लड्डूमार होली, फूलों की होली, कीचड़ की होली जैसी कई प्रकार की होली खेली जाती है।

ब्रज की होली कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है, यही यहां की परंपरा है दूर-दूर से लोग ब्रज की होली की मस्ती देखने आते हैं। कहते हैं यहां परंपरागत तौर पर सवा महीने की होली होती है।

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देश भर से लोग यहां की होली की उमंग और जोश देखने आते हैं।  खास तौर पर लोग वृंदावन, बरसाना, नंदगांव और दाऊ दी की होली देखने आते हैं।

   लड्डूमार होली

Holi Celebration in Braj    क्या है लट्ठमार होली की परंपरा

बरसाना में होली का आनंद कुछ अलग है, देश में शायद ही कोई होगा जो बरसाने की होली को देखना नहीं चाहता है।  यहां होली की शुरुआत लड्डूमार होली से होती है, बरसाने को श्री राधा रानी के जन्म स्थल माना जाता है।

युवतियां और महिलाएं यहां ग्वालों पर लड्डू से प्रहार करती हैं और फाग गाती हैं। होली का ये रंग दूर दूर से आए लोगों को खूब लुभाता है।

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   लट्ठमार होली

लड्डूूमार होली के बाद यहां लट्ठमार होली होती है, जिसका खास आकर्षण होता है नंदगांव से आए ग्वालों पर बरसाना की ग्वालिनें लट्ठ बरसाकर होली खेलती हैं। हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को यहां लट्ठमार होली बड़े ही जोश और उमंगों से खेली जाती है। जिसका बकायदा निमंत्रण एक दिन पहले बरसाना से नंदगांव भेजा जाता है।

   इस दिन खेली जाएगी ब्रज में लट्ठमार होली

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इस साल ब्रज में 18 मार्च 2024 को लट्ठमार होली खेली जाएगी, जो फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होती है। यहां लट्ठमार होली में गोपियां बनी महिलाएं नंदगांव से आए पुरुषों पर लाठी बरसती है और पुरुष ढाल का इस्तेमाल करके खुद को बचाते हैं।

बरसाना की लट्ठमार होली के बाद 19 मार्च को नंद गांव में भी लट्ठमार होली खेली जाएगी और इसे देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग लाखों की संख्या में यहां हर साल पहुंचते हैं।

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   क्या है लट्ठमार होली की परंपरा

Holi Celebration in Braj   क्या है लट्ठमार होली की परंपरा

कहा जाता है कि लट्ठमार होली की ये परंपरा राधारानी और श्रीकृष्‍ण के समय से चली आ रही है, नटखट कान्हा उस समय अपने सखाओं को साथ लेकर राधा और अन्य गोपियों के साथ होली खेलने और उन्हें सताने के लिए नंदगांव से बरसाना पहुंच जाया करते थे।

परेशान होकर राधारानी और उनकी सखियां कन्हैया और उनके गोप-ग्वालों पर लाठियां बरसाई थीं। लाठियों के वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके सखा ढालों प्रयोग करते थे। तब से राधा और कृष्ण के भक्त आज भी उस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। हर साल बरसाने में बड़े स्तर पर लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है।

   छड़ी मार होली

Holi Celebration in Braj

गोकुल में लाठी की जगह छड़ी से खोली खेले जाने की अनोखी परंपरा है, छड़ीमार होली के दिन गोपियों के हाथ में लट्ठ के बदले छड़ी होती है। गोपियां होली खेलने आए कान्हाओं पर छड़ी बरसाती हैं।  इस दिन एक अनोखे रिवाज का भी पालन किया जाता है, कान्हा की पालकी होती है और उनके पीछे गोपियां सज धज कर हाथों में छड़ी लेकर चलती हैं। यह परंपरा सालों पुरानी है।

   धुलेंडी की धूम

Holi Celebration in Braj

होलिका दहन के एक दिन बाद धुलेंडी होती है, इस दिन लोग यहां एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। मंदिरों में होली का आयोजन होता है, मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में भी होली का खास आयोजन होता है। धुलेंडी के अगले दिन बलदेव और दाऊजी मंदिर में हुरंगा मनाया जाता है। आसपास के हुरियारे होली खेलने आते हैं और फाग गाते हैं, यह कई घंटों तक चलता है।

  क्या है ब्रज के रंगोत्‍सव के कार्यक्रम का शेड्यूल ?

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27 फरवरी बरसाना की लड्डू होली
28 फरवरी बरसाना लट्ठमार होली
1 मार्च नंदगांव की लठमार होली
3 मार्च रंगभरी एकादशी वृंदावन बांके बिहारी मंदिर.
3 मार्च रंगभरी एकादशी श्री कृष्ण जन्म स्थान मंदिर.
4 मार्च गोकुल छड़ी मार होली
6 मार्च होलिका दहन
7 मार्च श्री द्वारकाधीश मंदिर होली
7 मार्च दुल्‍हेंडी
8 मार्च दाऊ जी का हुरंगा और जॉव का हुरंगा
9 मार्च बैठन का हुरंगा और गिडोह का हुरंगा

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