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छिपकली की पूंछ कटने के बाद फिर से कैसे उग जाती है? जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

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Bansal Digital Desk
छिपकली की पूंछ कटने के बाद फिर से कैसे उग जाती है? जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

नई दिल्ली। आमतौर पर हर घर में छिपकली पाए जाते हैं। कई बार हमारी गलती के कारण उन्हें कष्ट भी उठाना पड़ता है। गलती से उनके ऊपर पैर पड़ जाने या किसी चीज से दवाब पड़ जाने के कारण उनकी पूंछ कट जाती है। लेकिन क्या आपने देखा है कि छिपकली की पूंछ कटने के बाद भी हिलते रहती है। अगर आपने गौर किया होगा तो आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि ऐसा क्यों होता है?

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छिपकलियां खुद भी पूंछ गिरा देती है

बतादें कि ऐसा केवल दवाब पड़ने के मामले में ही नहीं होता, बल्कि छिपकलियां खुद भी पूंछ गिरा देती है। अब आप कहेंगे कि ये कैसे हो सकता है। दरअसल, छिपकली के पास प्राकृतिक तौर पर बचाव करने का कोई हथियार नहीं होता है, ऐसे में जब उसका सामना अपने से बड़े शिकारी से होता है, तो वह अपनी पूंछ गिरा देती है। वह ऐसा इसलिए करती हैं ताकि शिकारी का ध्यान भटक जाए और समय देखकर वो भागने में सफल हो जाए।

वापस आकर पूंछ खा भी लेती है

हालांकि पूछ गिराने के दौरान उसकी बहुत सी ऊर्जा नष्ट हो जाती है। ऐसे में कई बार छिपकली वापस आकर अपनी पूंछ खा भी लेती है। ताकि उसे जल्दी से जल्दी खोई हुई उर्जा प्राप्त हो सके। बता दें कि छिपकली के पूंछ में काफी मात्रा में वसा जमा रहती है।

वैज्ञानिक कारण

इसे जीव विज्ञान में ऑटोटोमी या सेल्फ अम्प्यूटेशन कहते हैं। ये सिर्फ छिपकली में ही नहीं बल्कि और भी उभयधारी,सरीसृप जीवों और अकशेरुकी प्राणियों (सबसे अधिक) में होता है क्योंकि इन जीवों में पुनर्जनन (regeneration) की क्षमता होती है मतलब ये अपने उस अंग को फिर से विकसित कर सकते हैं। और समयावधि सबमें अलग-अलग होती है। छिपकली में ये छः महीने से एक साल के बीच में फिर से विकसित हो जाती है। यहां विशेष रूप से छिपकली के ही बारे में बात करते हैं।

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दवाब महसूस होने पर अलग हो जाती है पूंछ

छिपकली की पूंछ में एक line of weakness होती है जिसे फ्रैक्चर प्लेन कहते हैं, जब कभी इस पॉइंट पर उसे तनाव या फिर कुछ भी असामान्य महसूस होता है, वो उस पॉइंट से ही अलग हो जाती है जिसे हम रिफ्लेक्स मसल स्पाज्म या मांसपेशियों की ऐंठन कहते हैं। और उस पूंछ के कंकाल की जगह एक कार्टिलेज रॉड विकसित हो जाती है जोकि इसकी स्पाइनल कॉर्ड से ही बढ़ती है और ये कुछ छोटी और हल्के रंग की होती है।

कटने से उनमें खून की कमी नहीं होती

ये प्रक्रिया उसे प्रकृति की देन है जिसकी सहायता से वो आत्मरक्षा करती है। इससे उसे कोई खून की कमी नहीं होती। और दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि उस पूंछ में चूंकि कुछ समय तक संचरण बना रहता है इसलिए वो कटी पूँछ कुछ देर हिलती है, इससे शत्रु को छिपकली के होने का भ्रम हो जाता है और वो इस आपातकालीन स्थिति से बच निकलती है। Regeneration ( पुनरुदभवन ) एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसमे जीवों के खोये हुए या कटे हुए अंग उग ( Generate ) आते हैं | जैसे – छिपकली, ऑक्टोपस, तारा मछली, एक्सोलोट्ल्स ( Axolotls ) सैलामेंडर आदि जीवों के शरीर में पुनरुदभवन ( Regeneration ) की अनोखी काबिलियत पायी जाती हैं ! जिसके कारण इनके अंग कटने, क्षतिग्रस्त होने पर दोबारा उग आते हैं !

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