Lab-Natural Diamond Difference: दुनिया में डायमंड की चमक अलग ही बनी होती है वहीं पर अब हीरे का निर्माण खदानों के अलावा लैब में भी होने लगा है। क्या आप जानते है हाल ही में जारी हुए आम बजट में वित्तमंत्री ने लैब में बनने वाले हीरों के लिए आईआईटी को जिम्मेदारी सौंपी है तो वहीं पर IIT को ग्रांट देने की तैयारी हो गई है जहां पर लैब में हीरों को तैयार करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग लैब की स्थापना होगी। हालांकि, क्या इससे मजदूरों की नौकरी बंद हो जाएगी, आइए जानते है..
हीरों का आयात घटेगा बढ़ेंगे नौकरी के अवसर
यहां पर हीरों को लेकर बजट में किए प्रावधान को लेकर वित्त मंत्री ने तर्क दिया है कि, भारत में ऐसे हीरों का आयात घटेगा और युवाओं के लिए नौकरी के अवसर बढ़ेंगे. दुनियाभर में बिकने वाले 90 फीसदी हीरों को काटने और पॉलिश करने का काम भारत में हो रहा है, अब देश लैब मेड डायमंड का भी वैश्विक केंद्र बनने की तैयारी है।
कितना अलग है जमीन और लैब का डायमंड
यहां पर बात करें तो, वास्तविक हीरा जमीन में सैकड़ों मीटर की गहराई में बनता है. यह एक तरह का खनिज है जो जमीन के काफी अंदर पाया जाता है. जमीन के अंदर गहराई, दबाव और अधिक तापमान वाले वाले क्षेत्र जब कार्बन के अणु आपस में जुड़ते हैं तो हीरा तैयार होता है. अपने वास्तविक रूप में यह एक पत्थर के रूप में नजर आता है. जिसे तराशा जाता है और ऐसे यह हीरे की बनावट होती है वहीं पर लैब में तैयार किए जाने वाले हीरे की बात करें तो, वास्तविक हीरा न होने के कारण इसे आर्टिफिशियल डायमंड भी कहते हैं. यह इस तरह तैयार किया जाता है।
जानिए कैसे तैयार होता है लैब का हीरा
आपको बताते चलें कि, यहां पर लैब में हीरा तैयार करने में 15 से 30 दिन तक लगते हैं. वर्तमान में इन्हें तैयार करने का काम डायमंड सिटी सूरत में हो रहा है। अगर आप दोनों हीरों को एक साथ रखोगे तो यकीन करना मुश्किल हो जाएगा कि, कौन नकली कौन सा असली । सूरत में इसकी 400 से अधिक फैक्ट्रीज हैं जिनकी लैब में इन्हें तैयार किया जा रहा है. इनकी कीमत ओरिजनल डायमंड से 40 से 70 फीसदी तक कम होती है। इन्हे बनाने के लिए धरती में कार्बन के कणों पर दबाव बढ़ने पर वो हीरों में तब्दील हो जाते हैं, उसी तरह लैब में भी कार्बन के कणों को एक साथ रखकर उन पर दबाव बनाया जाता है और इस दौरान हाई टेम्प्रेचर और प्रेशर पैदा किया जाता है। वहीं पर वैज्ञानिकों की मानें तो, इंसानों और जानवरों के टिश्यूज से भी हीरा बनाया जा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी जीव पानी और कार्बन के अणु से मिलकर बना होता है. इंसान और जानवर के टिश्यू में हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन पाया जाता है।