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भोपाल। NCLAT NEWS. राजधानी में रियल स्टेट के चर्चित मामले में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT Delhi) ने बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला दिया है। उसने भोपाल की बड़ी रियल एस्टेट कंपनी AG8 वेंचर्स यानी आकृति बिल्डर्स (AAKRITI BUILDERS) के दीवालिया (insolvent) होने का फैसला खारिज कर दिया है।
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एनसीएलएटी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल दिल्ली (NCLAT Delhi) के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें एजी8 वेंचर्स को दीवालिया घोषित किया गया था। ट्रिब्यूनल ने 8 दिसंबर के फैसले में एजी8 वेंचर्स (AG8 Ventures) की इन्सॉल्वेंसी को रद्द कर दिया है।
इस फैसले के साथ ही भोपाल शहर के अलग—अलग इलाकों में आकृति ग्रुप के हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में बड़ा पैसा लगाने के बाद भी प्रापर्टी के पजेशन के लिए लंबे समय से भटक रहे करीब 3 हजार पीड़ितों को उनका हक मिलने का रास्ता खुल गया है। ये सभी पीड़ित ऐसे आम और रिटायर्ड नागरिक हैं, जिन्होंने अपने सपनों के डुप्लेक्स, फ्लैट और प्लाट के लिए खून-पसीने की बड़ी कमाई आकृति के अलग-अलग प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट की लेकिन उन्हें सालों बाद भी पजेशन नहीं मिला है।
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हाउसिंग बोर्ड टेकओवर करेगा आकृति के प्रोजेक्ट
एनसीएलएटी (NCLAT NEWS) ने अपने फैसले में आकृति बिल्डर्स के सभी अधूरे प्रोजेक्ट को राज्य सरकार की हाउसिंग एजेंसी एमपी हाउसिंग बोर्ड (MP Housing Board) को टेकओवर करने का निर्देश दिया है।
यानी अब हाउसिंग बोर्ड आकृति ग्रुप के सभी अधूरे प्रोजेक्ट पूरे कर इनकी बुकिंग करने वाले कस्टमर को सौंपेगा। इस बारे में प्रदेश की रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) भी आदेश दे चुकी है लेकिन अब एनसीएलएटी का फैसला आने के बाद यह आदेश तुरंत लागू हो जाएगा।
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पीड़ित प्रॉपर्टी बायर्स के 1100 करोड़ रुपए फंसे
भोपाल में आकृति ग्रुप के 9 अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में करीब 3 हजार लोगों के 1100 करोड़ दांव पर लगे हैं। यह आंकड़ा पहली बार तब सामने आया जब आकृति के दीवालिया होने पर लोगों ने क्लेम करना शुरू किया।
इस दौरान करीब 3 हजार लोगों ने 1100 करोड़ रुपए के क्लेम किये थे। हालांकि बाद में रेरा और एक्वासिटी कंज्यूमर वेलफेयर सोसायटी ने एनसीएलएटी में अपील कर दी थी, जिसके बाद दीवालिया घोषित करने की प्रोसेस पर स्टे मिल गया।
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जल्द होगी रेरा-हाउसिंग बोर्ड की बैठक, प्रापर्टी का वैल्यूवेशन होगा
एनसीएलएटी (NCLAT NEWS) के फैसले के बाद आकृति बिल्डर्स के आकृति एक्वा सिटी, आकृति एस्टर सीरीज और आकृति ऑर्चेड हाइट्स जैसे 9 छोटे—बड़े अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए जल्द ही रेरा और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों के बीच बैठक होगी।
दरअसल एनसीएलएटी के आदेश के बाद अब हाउसिंग बोर्ड इन अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए इनकी वैल्यूवेशन करेगा। इस प्रक्रिया में इस बात का आंकलन किया जाएगा कि प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कितनी राशि की जरूरत है और अभी होम बायर्स के साथ—साथ अनसोल्ड प्रॉपर्टीज से कितनी राशि आना है। इस वैल्यूवेशन के बाद ही प्रोजेक्ट को पूरा करने की दिशा में काम शुरू होगा।
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अधूरे प्रोजेक्ट पूरा करने बेनामी संपत्तियां बेची जाएंगी
भोपाल में आकृति ग्रुप के जो अधूरे प्रोजेक्ट्स हैं, उनमें होम बायर्स के बकाया पैसा आने के बाद भी वे पूरे नहीं हो पाएंगे। इसलिए उन्हें पूरा करने के लिए इन प्रोजेक्ट्स की कई बेनामी संपत्ति को बेचा जाएगा। ऐसे प्रोजेक्ट्स जो अनसोल्ड और बेनामी संपत्ति बेचने के बाद भी पूरे नहीं हो पाएंगे उन्हें लेकर रेरा और हाउसिंग बोर्ड के बीच बैठक में फैसला लिया जाएगा।
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आकृति ग्रुप में कई संपत्तियां बेनामी
रेरा ने 10 अक्टूबर 2022 को आकृति ग्रुप से बेनामी संपत्तियों की जानकारी मांगी थी, लेकिन रेरा को यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद रेरा को जिन 104 बेनामी संपत्तियों के बारे में संदेह था, उनसे संबंधित दस्तावेज मंगवाए गए। सूत्रों के अनुसार अभी भी 34 से अधिक संपत्तियों के दस्तावेज रेरा को प्राप्त नहीं हुए हैं। इनमें से कई प्रॉपर्टी के दस्तावेजों में खरीदार के नाम के आगे वीआईपी लिखा हुआ है।
दिवालिया होने से बचने बचाव ही नहीं किया
दरअसल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल दिल्ली (NCLAT NEWS) में जब एजी8 वेंचर्स को दिवालिया करने के लिए अपील दायर की गई थी, तब आकृति बिल्डर के संचालक हेमंत सोनी (Hemant Soni) ने दिवालिया होने से बचने के लिए कोई बचाव नहीं किया। इस कारण ट्रिब्यूनल ने बहुत कम समय में आकृति बिल्डर्स को अगस्त 2022 दीवालिया घोषित करने का फैसला दे दिया।
हालांकि इस फैसले के खिलाफ रेरा और पीड़ित कस्टमर्स की आकृति एक्वासिटी वेलफेयर सोसायटी (aakriti aquacity welfare society) ने इसके खिलाफ अपील कर स्टे हासिल कर लिया ।
ट्रिब्यूनल ने माना रेरा को अपील का अधिकार
ट्रिब्यूनल ने माना कि रेरा (RERA) इस पूरे मामले की पहले से पड़ताल कर रहा था। साथ ही उसने बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश भी की थी। ऐसे में उसे दीवालिया घोषित करने का आदेश रेरा की कार्रवाई और जांच प्रक्रिया पर असर डाल सकता है, इसलिए उसे अपील करने का अधिकार है।
प्रॉपर्टी बायर्स को भी अपील करने का अधिकार
दरअसल आकृति ग्रुप के दीवालिया घोषित होने से पहले ही भोपाल में भोजपुर रोड पर आकृति एक्वासिटी प्रोजेक्ट के होमबायर्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट में बिल्डर हेमंत सोनी को होमबायर्स (Home Buyers) का पैसा लौटाने के लिए कहा गया था।
इस आधार पर ट्रिब्यूनल ने माना कि आकृति ग्रुप के दीवालिया होने से यदि होमबायर्स के अधिकारों का हनन होता है तो उन्हें पूरा अधिकार है कि वे दीवालिया होने की प्रक्रिया के खिलाफ अपील कर सकते हैं।
इस आधार पर खारिज हुआ दीवालिया घोषित करने का फैसला
उल्लेखनीय है कि आकृति ग्रुप को प्रदेश के एक बड़े हिंदी अखबार के मैनेजमेंट के साथ किए गए बॉर्टर एग्रीमेंट (Barter Agreement) के आधार पर दीवालिया घोषित किया गया था। इस एग्रीमेंट के तहत अखबार में छपने वाले विज्ञापनों के एवज में पैसों की जगह आकृति ग्रुप की प्रॉपर्टी देने का समझौता हुआ था।
एनसीएल के अपीलेट ट्रिब्यूनल ने माना कि प्रॉपर्टी को विज्ञापन बिल के पैसों में कन्वर्ट किया जाना गलत है। इसलिए बॉर्टर एग्रीमेंट को ऑपरेशनल क्रेडिटर की तरह ट्रीट न कर सामान्य अलॉटी की तरह ट्रीट किया जाना था, जो कि इस केस में नहीं हुआ। इसी वजह से आकृति ग्रुप के दीवालिया का आदेश रद्द कर दिया गया।
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वर्जन 1 :
मैं एजी8 वेंचर्स में ही नौकरी करता था। वर्ष 2016 में आकृति एक्वासिटी में फ्लैट बुक कराया। उस समय खाली मैदान था, फिर भी उस पर 90 फीसदी फाइनेंस होकर पूरी रकम एकमुश्त ले ली। जब विरोध किया तो नौकरी से निकाल दिया और फिर 1 महीने में पैसा लौटाने की बात कही। टुकड़ों में कुछ पैसा दिया, लेकिन अभी तक पूरा पैसा नहीं मिल सका है। आकृति बिल्डर हेमंत सोनी मेरे ममेरे भाई हैं। मेरी दोनो किडनी खराब है। सप्ताह में 13 से 14 हजार का खर्चा डायलिसिस कराने में आ रहा है, जो मेरे छोटे भाई, बहन, रिश्तेदार दे रहे हैं। मेरा परिवार किराये के घर में रह रहा है। बेटा बीटेक कर रहा है। उसकी पढ़ाई का खर्चा और घर का खर्चा पत्नी सिलाई का काम करके चला रही है।
— महेंद्र सोनी, आकृति बिल्डर हेमंत सोनी का ममेरा भाई।
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वर्जन 2 :
एनसीएलएटी ने एजी8 वेंचर्स यानी आकृति बिल्डर के दीवालिया वाले आदेश को रद्द कर दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि हेमंत सोनी ही दोबारा एजी8 वेंचर्स का प्रबंध निदेशक है। हाउसिंग बोर्ड अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इन प्रोजेक्ट्स को टेकओवर करेगा। इस संबंध में रेरा पहले ही आदेश दे चुका है। डीबी कॉर्प लिमिटेड और एजी8 वेंचर्स ने दीवालिया के आदेश को सही बताने की कई कोशिशें की। हमारा आरोप था कि ये फर्जी तरीके से दीवालिया हुए हैं और इसके लिए नकली इनोवाइस लगाई गई है। एनसीएलएटी ने माना कि एनसीएलटी इंदौर से चूक हुई और दीवालिया का जो आदेश दिया गया था वह गलत था।
— भानु यादव, याचिकाकर्ता एक्वासिटी कंज्यूमर एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी।
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