नई दिल्ली। आज यानि 17 मार्च को Holika Dahan Muhurta 2022 होलिका दहन है। इसी के साथ होलाष्टक Holika Dahan Muhurta, Puja Vidhi 2022 की समाप्ति हो जाएगी। आज पूरे भारत में बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व मनाया जाएगा। इसके बाद कल यानि 18 मार्च को शुरू होगा उमंग, रंग का त्योहार धुरैड़ी। पर आपको बता दें इस बार होलिका दहन की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि विभिन्न पंचांगों के अनुसार इसकी तिथि में मतभेद हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं इस बार होलिका दहन की तिथि कब आ रही है।
यह भी पढ़ें : Holi upay 2022 : होलिका दहन पर करें ये आसान उपाय, हर समस्या होगी दूर
क्या कहते हैं पंचांग —
पंडित रामगोविंद शास्त्री का कहना है 17 मार्च को रात 12:43 मिनट तक भद्रा रहने के भद्रा के बाद ही होलिका दहन होगा। जबकि पंडित सनत कुमार खंपरिया की मानें तो होलिका दहन अपने आप में बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का त्योहार है। इसमें भद्रा का कोई प्रभाव नहीं होता। बल्कि होलिका में सभी बुराइयां, अशुभ मुहूर्त जलकर खाक हो जाते हैं।
होली स्पेशल ट्रेन : रेलयात्रियों के लिए बड़ी खबर,14 मार्च से होगी इस स्पेशन ट्रेन की शुरुआत, सागर, दमोह भी होगा हल्ट
होलिका दहन मुहूर्त —
तिथि — 17 मार्च
समय — 09.06 शाम से रात्रि 10.16 बजे तक
धुरैड़ी — 18 मार्च, 2022
पूर्णिमा तिथि आरंभ : 17 मार्च, 2022 को दोपहर 01.29 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 18 मार्च, 2022 को दोपहर 12.47 बजे तक
वैकल्पिक मुहूर्त : मध्य राशि 01.12 से सुबह 06.28 बजे तक
होलिका दहन पूजा सामग्री
एक लोटा जल, गाय के गोबर से बनी माला, अक्षत, गंध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां।
होलिका पूजा विधि
1 — पूजन सामग्री रख कर थाली तैयार कर लें।
2 — पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठे पूजन स्थल पर पूजन करें। सबसे पहले पूजा थाली फिर स्वयं पर पानी छिड़कर ‘ऊं पुण्डरीकाक्षः पुनातु’ मंत्र का 3 बार जाप करें।
3 — दाएं हाथ में जल, चावल, फूल और एक सिक्का लेकर संकल्प लें।
4 — दाहिने हाथ में फूल और चावल लेकर भगवान गणेश का स्मरण करें।
5 — मां अम्बे का स्मरण करते हुए “ऊं अम्बिकायै नमः पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि” मंत्र का जाप करें।
6 — जाप करते हएु पुष्प के साथ रोली और अक्षत लगाकर मैया को चढ़ाएं।
7 — अब भगवान नरसिंह का स्मरण करें। पुष्प पर रोली और चावल लगाकर भगवान को अर्पित करें।