नई दिल्ली। कल शुक्रवार को रंगों और उमंगों का त्योहार Holi Bhai Dooj Upaye 2022 होली बड़ी मस्ती के साथ मनाया गया। इस बार दो पूर्णिमा के चलते शनिवार को प्रतिपदा हुई है। इसके बाद कल यानि रविवार को भाई—बहन का पवित्र त्योहार भाई—दूज मनेगा। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस बार दो पूर्णिमा होने से भाई—दूज की तिथि में परिवर्तन होगा। आइए जानते हैं भाई—दूज की तिथि और मुहूर्त और महत्व। लेकिन इसी के साथ हम आपको बताने जा रहे है एक खास उपाय। जिसे बुंदलेखंड में एक परंपरा के रूप में भी मनाया जाता है। जिसे करने से भाई पर लगी बुरी से बुरी नजर भी मिट जाती है।
होली भाईदूज तिलक और पूजा विधि
होली भाईदूज के दिन भाई बहनों को प्रात:काल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर श्रीविष्णु जी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भाई को तिलक करने के लिए कुमकुम, सिंदूर, अक्षत, चंदन, फल, फूल, मिठाई, काले चने, सुपारी या सूखा गोला रखकर पूजन की थाली सजाएं। भाई को चौक पर बिठाकर शुभ मुहूर्त में उनका तिलक करें। इसके बाद पान, सुपारी, गोला, बताशे, फल, फूल, मिठाई और चने आदि सभी चीजें भाई को दें। आरती कर उनका मुंह भी मीठा कराएं। भाई भी बहनों को सामर्थ्य के उपहार के साथ—साथ उनकी रक्षा का वचन दें।
इस दिन आ रही हैं पूर्णिमा —
पूर्णिमा तिथि —
प्रारंभ — 17 मार्च को दोपहर 12:40
समाप्ति — 18 मार्च को दोपहर 12:38
प्रतिपदा —
प्रारंभ — 18 मार्च को दोपहर 12:39
समाप्ति — 19 मार्च को प्रतिपदा में सूर्योदय
होली भाईदूज 20 मार्च 2022
द्वितीया तिथि प्रारंभ — 19 मार्च को दोपहर 11:37 बजे से
द्वितीया तिथि समाप्त — 20 मार्च को प्रात:काल 10:06 बजे तक
होली भाई दूज की कथा —
भारतीय जनश्रुति में सुनाई जाने वाली कथाओं के अनुसार एक बुढ़िया थी जिसके एक बेटा और बेटी थे। बेटी का विवाह हो गया था तथा वह परदेश में रहती थी। एक दिन बेटे ने अपनी मां से आग्रह किया कि वह अपनी बहन से मिलने जाना चाहता है। इस पर उसकी मां ने उसे अनुमति दे दी। बहन के घर पहुंचने के बीच उसे कई संकटों से गुजरना पड़ा परन्तु हर बार वह वापिस लौटने का आश्वासन देकर सकुशल अपनी बहन के घर पहुंच गया। वहां पर बहन ने उसे दुखी देख उससे कारण पूछा। भाई ने उसे सब कुछ बता दिया। इस पर बहन ने भाई को सकुशल उसके घर छोड़ कर आने का वचन दिया और उसके साथ राह में निकल पड़ी। रास्ते में आने वाले सभी संकटों का सामना करते हुए उसने अपने भाई की जान बचाई। भाई दूज के अवसर पर सभी बहनें इस कहानी को सुन कर और अपने भाई का तिलक कर अपना व्रत खोलती हैं।
ऐसे उतरती है नजर —
बुंदेलखंड में होली पर गोबर से दोजें बनाकर उसकी पूजा करने की परंपरा है। इसमें विधि पूर्वक पूजन करके कथा सुनने के बाद घर के बाहर कटाई का पौधा रखा जाता है। इस पर दिए को उल्टा रखकर, इसे पूजा जाता है। फिर एक मूसल लेकर उसे हल्दी चंदन से टीककर उस मूसल से कटाई, दीया और गोबर को पांच बार सीधा और दो बाद उल्टा कूटते हैं। इसी के साथ ये बोल बोलते जाते हैं …….जो कोई हमाए भैया खों देख के जरे—बरे ओको मौ ऐसो ऐसा कूटो—कूटो …….. के साथ ये उपाय किया जाता है। इसी केस साथ पूजा समाप्त हो जाती है।
नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।