Advertisment

History of Karnataka: आखिर कैसे पड़ा राज्य का नाम मैसूर से कर्नाटक, जानिए राज्य का इतिहास और कहानी

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के आए नतीजों ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी तस्वीर पेश की है। क्या आपको जानकारी है कि, कर्नाटक का नाम पहले मैसूर हुई करता था।

author-image
Bansal News
History of Karnataka: आखिर कैसे पड़ा राज्य का नाम मैसूर से कर्नाटक, जानिए राज्य का इतिहास और कहानी

History of Karnataka: जैसा कि, आज 13 मई 2023 को कर्नाटक का भविष्य तय हो गया है वहीं पर कर्नाटक विधानसभा चुनाव के आए नतीजों ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी तस्वीर पेश की है। क्या आपको जानकारी है कि, कर्नाटक का नाम पहले मैसूर हुई करता था। जिसकी रियासत में आजादी के दौरान ही बीस से ज्यादा प्रांत बंटे थे। आइए जानते है इसके शुरूआत की कहानी।

Advertisment

पढ़ें ये खबर भी 14 May Ka Rashifal: मिथुन, कर्क और सिंह राशि के लिए रविवार का दिन है खास, पढ़ें 14 मई का ​राशिफल

आजादी के बाद शुरू हुआ राज्य का निर्माण

आजादी के दौरान हुआ यह था कि, यहां पर साल 1953 में आंध्र प्रदेश बना तो मद्रास के कई जिले मैसूर में मिला दिए गए जिसकी वजह से इन जिलों के रहवासियों में गुस्सा बढ़ गया, इसका असर यह हुआ कि, आंदोलन और विद्रोह की आग भड़क गई। इसके साथ ही बढ़ते बवाल को देखते हुए भाषायी आधार पर 1 नवंबर 1956 को स्टेट ऑफ मैसूर की स्थापना हुई जिसमें कन्नड़ भाषा के क्षेत्र में आने वाले जिलों और क्षेत्रों को एक साथ मिलाकर राज्य का निर्माण किया गया। जिसका नाम 1973 में रखा गया स्टेट ऑफ मैसूर। यहां पर कहते है बदलाव जरूरी होता है इसका नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया।

पढ़ें ये खबर भीDell New Gaming Laptop: Dell ने लॉन्च किए नए लैपटॉप, जानिए गेमिंग-एडिटिंग के लिए कितने हैं परफेक्ट

Advertisment

आखिर क्यों रखा कर्नाटक ही नाम

यहां पर कर्नाटक नाम को कहा जाता है कि, इसका नाम पृष्ठभूमि के आधार पर रखा गया, जिसका अर्थ होता है 'काली मिट्टी की ऊंची भूमि' यानी कर्नाटक. दरअसल, 'करु' यानी काली और ऊंची और 'नाट' यानी भूमि जो काली मिट्टी से आया है और दक्कन के पठारों से ऊंचाई का शब्द लिया गया है।

बता दें कि, इसे अंग्रेजी के तौर पर 'कारनाटिक' शब्द इस्तेमाल किया जाता था। आपको बता दें कि, कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री डी देवराज उर्स के बाद पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री सिद्दारमैया थे. यहां से कई ऐसे राजनेता निकले हैं, जिन्होंने देश की राजनीति में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

पढ़ें ये खबर भीKarnataka Assembly Election Result 2023 Live: कर्नाटक में लौट आया कांग्रेस का रंग, जानिए क्या रहा रिजल्ट का हाल

Advertisment

क्यों जरूरत पड़ी राष्ट्रपति शासन

आपको बताते चले कि, कर्नाटक का इतिहास भी अनूठा ही रहा है जहां पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया। बताते चले कि, यहां पर साल 1977 से 2013 के बीच कई बार ऐसे हालात बने जब कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। कर्नाटक की राजनीति और सत्ता की बात की जाए तो, कांग्रेस का वर्चस्व 9 सालों तक काबिज रहा।

वहीं पर 1983 में जनता पार्टी के रामकृष्ण हेगड़े ने कांग्रेस के शासन की परंपरा तोड़ी थी, लेकिन उनकी सरकार ज्यादा दिन नहीं टिक पाई। जहां पर भाजपा ने अपना पांसा खेलते ही 2006 में एक बार फिर से सरकार बनाई जहां पर बीजेपी-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी और देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने जिसका असर भी नहीं चल पाया था।

पढ़ें ये खबर भीSnake Free Country: इस देश में नहीं है एक भी सांप, कारण जान आप हो जाएंगे हैरान!

Advertisment
karnataka news karnataka assembly election 2023 History of Karnataka Maisur
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें