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Hiroshima Day: मशरूमी बादल में क्यों तब्दील हुआ हिरोशिमा-नागासाकी, जानिए हमले कि पूरी जानकारी

Hiroshima Day: अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर शक्तिशाली परमाणु बम "लिटिल बॉय" गिराया, जिसमें 1लाख 40 हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे।

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Hiroshima Day: मशरूमी बादल में क्यों तब्दील हुआ हिरोशिमा-नागासाकी, जानिए हमले कि पूरी जानकारी

Hiroshima Day: यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के एक युद्धक विमान ने 6 अगस्त, 1945 को जापान के हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम, शक्तिशाली "लिटिल बॉय" गिराया। एक अमेरिकी बी-29 बमवर्षक विमान ने हिरोशिमा के ऊपर उड़ान भरी और सुबह 8:15 बजे बम गिराया। तीन दिन बाद, शाही जापान के खिलाफ युद्ध में अमेरिका द्वारा एक और परमाणु हथियार "फैट मैन" गिराए जाने के बाद नागासाकी पर बमबारी की गई। जिसमें 1लाख 40 हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे।

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हिरोशिमा दिवस(Hiroshima Day) पर, संयुक्त राष्ट्र(UN) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि वह "हिरोशिमा और हिबाकुशा के लोगों के साथ खड़े हैं जो यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं कि परमाणु हथियारों का दोबारा इस्तेमाल न किया जाए।"

आइए याद करते हैं, हिरोशिमा में 6 अगस्त को हुई भयावहता के दिन को:

1) 16 जुलाई 1945 को 'ट्रिनिटी टेस्ट' के बाद यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका(USA) द्वारा परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने के लगभग 20 दिन बाद, 6 अगस्त को हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया, जिसका नाम 'लिटिल बॉय' रखा गया, जिसमें साल के अंत तक लगभग 1लाख 40 हज़ार लोग मारे गए। 9 अगस्त को नागासाकी पर एक और बम गिराया गया और जापान ने एक सप्ताह बाद 15 अगस्त को आत्मसमर्पण कर दिया। जिससे दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया। जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण करने के बाद 1 सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ था।

2) इस घटन ने एशिया में जापान की लगभग आधी सदी की आक्रामकता को खत्म कर दिया। 7 दिसंबर, 1941 को जापानी सेना ने पर्ल हार्बर, हवाई(Hawaii) में अमेरिकी नौसेना बेस पर अचानक हमला कर दिया। उसके बाद अमेरिका जापान पर युद्ध की घोषणा कर दिया। अमेरिका के राष्ट्रीय द्वितीय विश्व युद्ध संग्रहालय ने कहा, यह हमला जर्मनी में नाजियों के खिलाफ लड़ाई, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में जापान के सैन्य विस्तार को रोकने के अमेरिका के प्रयास और ग्रेट ब्रिटेन को हथियारों की आपूर्ति करने के जवाब में हुआ था।

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3) हिरोशिमा में 6 अगस्त 1945 को, किसी को जरा भी एहसास होने से पहले, 16 किलोटन टीएनटी के बराबर बल वाले यूरेनियम बम ने आसपास की हर चीज को जलाकर राख कर दिया। बम जमीनी सतह पर 4,000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी से टकराया था, जो स्टील को भी पिघलाने के लिए पर्याप्त था। शहर बंजर भूमि में बदल गए, मलबे में तब्दील हो गए। विस्फोट के बाद बना मशरूमी बादल 16 किमी लंबा था, जिसने पूरे हिरोशिमा को ढक दिया था। नागासाकी की इस बमबारी के परिणामस्वरूप और 70 हज़ार लोग मारे गए थे।

आज रविवार को हिरोशिमा में सुबह 8:15 बजे शांति की घंटी(peace bell) बजी, ठीक उसी समय जब 1945 में हिरोशिमा पर बम गिराया गया था।

बीतें दशकों में, हालांकि दोनों जापानी शहरों ने खुद को राख से पुनर्जीवित कर लिया। लेकिन बमबारी के शारीरिक और भावनात्मक घाव अभी भी बने हुए हैं। बम विस्फोटों में जीवित बचे कई लोगों को विस्फोटों(explosions) और विकिरण(radiation) जोखिम के परिणामस्वरूप स्थायी चोटें और बीमारियाँ हुई। और उन्हें जापान में भेदभाव का सामना भी करना पड़ा।

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