हाइलाइट्स
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शिक्षक भर्ती वर्ग-1 से जुड़ा हुआ है मामला
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हाई कोर्ट में चल रही है मामले की सुनवाई
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DPI कमिश्नर को हलफनामा जमा करने के निर्देश
MP High Court: मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती से जुड़े एक मामले में जिला शिक्षा अधिकारी के जवाब को लेकर हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है।
जिला शिक्षा अधिकारी कटनी के बिना सिर पैर के जवाब को देखते हुए हाई कोर्ट (MP High Court) ने नाराजगी व्यक्त की।
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश विवेक अग्रवाल ने यह तक कहा कि आप लोग क्या सोच रहे हैं, कोर्ट जो है बिल्कुल भांग खाकर बैठ रहे हैं।
पहले जानिये क्या है मामला
मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने उच्च माध्यमिक शिक्षक यानी वर्ग 1 की भर्ती के लिये राज्य कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से वर्ष 2018 में परीक्षा ली।
प्रथम चरण की भर्ती के बाद वर्ग 1 में 5937 पद रिक्त बचे। 29 सितंबर 2022 को विभाग ने सभी शेष बचे रिक्त 5937 पदों पर भर्ती की जगह पद कम कर 2750 पर भर्ती प्रक्रिया की।
इससे EWS कैटेगिरी के उम्मीदवार 10 प्रतिशत रिजर्वेशन के हिसाब से सिर्फ 275 पदों पर ही नियुक्त हो सके। जबकि 5937 पदों पर भर्ती होती तो EWS कैटेगिरी के उम्मीदवारों को 594 पदों पर नियुक्ति मिलती।
शिक्षक भर्ती ट्राइबल और स्कूल डिपार्टमेंट ने संयुक्त रूप से की थी। ट्राइबल डिपार्टमेंट ने द्वितीय काउंसलिंग में शेष सभी रिक्त पदों पर भर्ती की, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग ने पद ही कम कर दिये। इसे लेकर EWS कैटेगिरी के उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट (MP High Court) में याचिका लगाई।
डीईओ कटनी ने दिया बिना सिर पैर का जवाब
मामले में डीईओ कटनी के जवाब को स्वयं कोर्ट (MP High Court) ने बिना सिर पैर का बताया और इसे वेस्ट पेपर कहकर संबोधित किया।
दरअसल जिला शिक्षा अधिकारी कटनी पीपी सिंह ने अपने जवाब में कहा कि तहसीलदार ने समय पर EWS का प्रमाण पत्र नहीं दिया और याचिकाकर्ता घनश्याम पाण्डे EWS श्रेणी के हैं इनके स्कोरकार्ड पर नॉट क्वालीफ़ाई लिखा हुआ है इसलिए इन्हें नियुक्ति नही दी गई।
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता धीरज तिवारी ने कहा कि ये दोनो मामले ही मूल याचिका से अलग-अलग हैं और इनका याचिका से कोई लेनादेना नहीं है। यही कारण है कि जस्टिस विवेक अग्रवाल ने DEO कटनी पीपी सिंह को कड़ी फटकार लगाई।
DEO कटनी के जवाब पर कोर्ट ने ये कहा
मामले की सुनवाई 15 फरवरी, गुरुवार को हाईकोर्ट (MP High Court) में जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि इस जबाब का याचिका से कोई संबंध नही हैं। इस जवाब का न सिर हैं न पैर।
इससे हाईकोर्ट को मिसलीड किया गया मिसलीड जानकारी देकर। सरकारी वकील का नाम बताईये। स्टेनो जवाब बनाते हैं क्या। क्या स्टेनो के रहमोकरम पर हैं।
बेकार का कागज़ है और ये न ही यह बताता हैं कि यह क्या प्रदर्शित कर रहा है। इतना गुमराह मत करिये। आप लोग क्या सोच रहे हैं कोर्ट जो है बिल्कुल भांग खाकर बैठ रहे हैं।
कमिश्नर को 7 दिनों के अंदर हलफनामा दाखिल करने के निर्देश
हाई कोर्ट (MP High Court) ने कमिश्नर लोक शिक्षण संचालनालय को सात दिनों के भीतर अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिये हैं। हलफनामें में यह बताना होगा कि याचिकाकर्ताओं का मामला क्या है और उत्तरदाताओं का क्या रुख है।
ऐसा न करने पर यह न्यायालय आयुक्त, स्कूल शिक्षा को व्यक्तिगत उपस्थिति का आदेश देने के लिए बाध्य हो सकता है। अधिवक्ता धीरज तिवारी ने ने बताया कि मामला 23 फरवरी को सुनवाई के लिये सूची के शीर्ष पर रखा गया हैं।