ग्वालियर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने केंद्र सरकार से महिलाओं की सहमति से संबंध बनाने की आयु घटाकर 16 साल करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि वर्तमान 18 साल की उम्र ने समाज के ताने-बाने को बिगाड़ दिया है क्योंकि किशोरवय लड़कों के साथ अन्याय हो रहा है।
अदालत का अनुरोध 27 जून को एक आदेश के माध्यम से आया, जिसमें एक व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी को रद्द कर दिया गया है, जिस पर 2020 में एक नाबालिग लड़की से कई बार बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने का आरोप था।
सोशल मीडिया जागरूकता जल्द यौवन की वजह
न्यायाधीश ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया जागरूकता और आसानी से सुलभ इंटरनेट संपर्क के कारण कम उम्र में ही 14 वर्ष की आयु के करीब हर किशोर या किशोरी यौवन प्राप्त कर रहे हैं।
सरकार से किया अनुरोध
अदालत ने कहा कि लड़के और लड़कियां जल्दी युवावस्था के कारण एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ‘‘सहमति से शारीरिक संबंध बनते हैं।’’ न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल ने आदेश में कहा, ‘‘मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह अभियोजन पक्ष (महिला शिकायतकर्ता) की आयु को (आईपीसी) संशोधनों के पहले की तरह की तरह 18 से घटाकर 16 वर्ष करने पर विचार करे ताकि अन्याय का निवारण किया जा सके।’’
समाज का ताना-बाना बिगड़ रहा
अदालत ने कहा कि लड़कियों के लिए सहमति से संबंध बनाने की उम्र 18 वर्ष करने से समाज का ताना-बाना बिगड़ गया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता 2020 में नाबालिग थी और याचिकाकर्ता से कोचिंग कक्षाएं लेती थी।
उसने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने एक बार उसे नशीला पेय दिया, उससे बलात्कार किया और यौन उत्पीड़न का वीडियो बनाया। शिकायत के मुताबिक व्यक्ति ने वीडियो क्लिप के जरिए उसे ब्लैकमेल करते हुए कई बार उससे बलात्कार किया।
अदालत ने कहा कि बाद में नाबालिग ने दूर के एक रिश्तेदार के साथ भी शारीरिक संबंध बनाए। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह अदालत, उस आयु वर्ग के एक किशोर के शारीरिक और मानसिक विकास को देखते हुए, इसे तर्कसंगत मानेगी कि ऐसा व्यक्ति अपनी भलाई के संबंध में सचेत निर्णय लेने में सक्षम है।’’
आदेश में कहा गया, ‘‘आम तौर पर किशोरावस्था के लड़के-लड़कियां दोस्ती करते हैं और उसके बाद आकर्षण के कारण शारीरिक संबंध बनाते हैं।’’ अदालत के आदेश में कहा गया है कि इन मामलों में पुरुष बिल्कुल भी अपराधी नहीं हैं।