MP News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक छात्रा को सही उत्तर देने के बावजूद कम नंबर दिए जाने पर माध्यमिक शिक्षा मंडल (Board of Secondary Education) मप्र को नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में जवाब मांगा है। छात्रा की याचिका पर हाईकोर्ट में जस्टिस विशाल धगट की प्रिंसिपल बेंच में सुनवाई मंगलवार, 10 सितंबर को सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा मंडल से जवाब मांगा है।
छात्रा को संस्कृत में दिए कम अंक
मामले में याचिकाकर्ता छात्रा ने हाईकोर्ट को बताया कि सतना जिले की रहने वाली छात्रा दिशा पांडे ने वर्ष 2024 में माध्यमिक शिक्षा मण्डल (मप्र) भोपाल द्वारा आयोजित की गई। जिसमें छात्रा ने दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा दी थी। इस परीक्षा के संस्कृत विषय में छात्रा को 76 अंक दिए गए। जब छात्रा को लगा की उसे अपेक्षित अंकों से कम अंक दिए गए। इसके बाद छात्रा ने माध्यमिक शिक्षा मंडल से अपनी उत्तर पुस्तिका की प्रति की मांग की और उत्तर पुस्तिका की दोबारा से जांचने (Recalculation) के लिए आवेदन किया (MP News) गया।
छात्रा ने माशिमं को ये दिए तर्क
इसके बाद माशिमं ने छात्रा की संस्कृत विषय की उत्तर पुस्तिका की पुनर्गणना (Recalculation) कर उसके दो अंक बढ़ा दिए यानी अब उसके अंक 76 से 78 हो गए, लेकिन छात्रा ने फिर से बोर्ड (Board of Secondary Education) के समक्ष आवेदन किया और तर्क दिया कि बोर्ड द्वारा जारी किए गए संस्कृत विषय के आदर्श उत्तरों में बोर्ड द्वारा जिन उत्तरों को सही उत्तर के रूप में मान्य किया है। छात्रा ने अपनी उत्तर पुस्तिका में भी हुबहू वही उत्तर लिखे (MP News) हैं।
माशिमं के मना करने पर छात्रा कोर्ट पहुंची
उसके बाबजूद बोर्ड ने माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश विनियम 1965 का विनियम 119 का हवाला देकर छात्रा की उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन (Revaluation)करने से इनकार कर दिया। बोर्ड के इसी फैसले को छात्रा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट विशाल बघेल तथा शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता प्रमोद पांडेय ने पैरवी (MP News) की ।
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