MP High Court: इंदौर हाईकोर्ट ने चार साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी की सजा के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। आरोपी को 2019 में निचली अदालत में रेप और पॉक्सो एक्ट के तहत 10-10 साल की सजा सुनाई गई थी। तब उसकी उम्र 17 साल 3 महीने और 27 दिन थी। हाईकोर्ट जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने 11 सितंबर को सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया और नाबालिग अपराधियों के मामले में देश में नरम कानूनों पर भी अफसोस जताया।
निर्भया कांड से नहीं लिया सबक
हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा कि “कोर्ट को एक बार फिर यही टिप्पणी करते हुए दुख हो रहा है कि इस देश में नाबालिग अपराधियों के साथ बहुत नरमी बरती जाती है। ऐसे अपराधों के पीड़ितों का दुर्भाग्य है कि विधानमंडल ने निर्भया की भयावहता से भी अभी तक कोई सबक नहीं लिया है। हालांकि इस देश के संवैधानिक न्यायालयों द्वारा बार-बार ऐसी आवाजें उठाई जाती रही हैं। बावजूद इसके पीड़ितों के लिए यह बेहद निराशाजनक है कि वे 2012 में हुए निर्भया कांड के एक दशक बाद भी विधानमंडल पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाए हैं।
बाल सुधार गृह से भी भागा था आरोपी
मामले में यह बात सामने आई कि एक 17 साल के आरोपी ने 4 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। आरोपी को जुवेनाइल एक्ट में 10 साल की सजा सुनाई गई। जिला कोर्ट ने कहा था कि आरोपी की उम्र 21 साल होने तक उसे बाल सुधारगृह में रखा जाए। हालांकि वह 19 साल की उम्र में बाल सुधारगृह से फरार हो गया था। कोर्ट ने आरोपी की सजा के खिलाफ अपील खारिज की और नरम कानूनों पर अफसोस जताया। दुष्कर्म के अपराध के बाद उसने बालिग होने पर सुधार गृह से भागने का अपराध किया।
अरोपी के वकील के तर्क खारिज
आरोपी के वकील के तर्कों को अदालत ने खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि किराए के विवाद के कारण मामला गढ़ा गया है और पीड़िता की उम्र के दस्तावेजों पर सवाल उठाया था। अदालत ने कहा कि पीड़िता की मां के बयान और मेडिकल गवाही के आधार पर आरोपी को सही तरीके से दोषी ठहराया गया है।