UP Teachers Bharti: उत्तर प्रदेश सरकार 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट (UP Teacher Bharti) के फैसले के बाद एक तरफ शिक्षकों का भविष्य अधर में नजर आ रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ इस मामले में सियासी उठापटक लगातार जारी है। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने शिक्षक भर्ती की मैरिट लिस्ट को रद्द करने के आदेश दिए थे।
साथ ही राज्य सरकार को नए सिरे से 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा जारी करने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद अब सहायक अध्यापक देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट जाने की पूरी तैयारी में हैं।
शिक्षकों को SC से आस
हाई कोर्ट के इस फैले को अनारक्षित वर्ग (UP Teacher Bharti) के उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। अनारक्षित छात्र मोर्चा के प्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र मिश्र के अनुसार 1994 की आरक्षण नियमावली सिर्फ एक सीधी भर्ती में लागू होनी चाहिए, जिसकी सिर्फ एक ही परीक्षा होती है। अनारक्षित प्रतियोगी छात्र मोर्चा के प्रदेश महासचिव हिमांशु दुबे और नितेश सिंह ने जानकारी दी कि वह उच्चतम न्यायालय के फैसले से असंतुष्ट हैं।
एक ही भर्ती जो कई चरणों में आयोजित की जाती है, उसमें हर स्तर पर आरक्षण का लाभ देने से आरक्षण का दायरा बढ़ जाता है, जिससे अनारक्षित उम्मीदवारों के मौलिक अधिकारों का हनन होता है। हम हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
CM योगी करेंगे करेंगे खास बैठक
हाई कोर्ट के इस फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल, सीएम योगी इस मुद्दे पर आगे की रणनीति के लिए रविवार को बेसिक शिक्षा कर्मचारियों (UP Teacher Bharti) के साथ बैठक करेंगे। यह बैठक यूपी की राजधानी लखनऊ में शाम 5:30 बजे होगी। इस बैठक में प्रदेश शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के साथ मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता शामिल होंगे।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, राज्य सरकार ने 6 जनवरी 2019 को सहायक शिक्षक पदों (UP Teacher Bharti) पर भर्तियां निकाली थीं। इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 प्रतिशत और ओबीसी की कटऑफ 66.73 प्रतिशत थी। इस भर्ती में करीब 68 हजार शिक्षकों को नौकरी मिली थी। मगर यहीं से यह सवाल उठने लगे थे कि 69 हजार भर्ती में आरक्षण नियमों को लेकर अनदेखी की गई है।
दरअसल बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन सही से नहीं किया गया है। इस भर्ती को लेकर उम्मीदवारों ने जमकर आंदोलन भी किया था। साथ ही उनका कहना था कि नियमावली (UP Teacher Bharti) में साफ लिखा है कि अगर कोई ओबीसी वर्ग का उम्मीदवार अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त करता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी से नौकरी दी जाएगी। यानी उनकी गिनती आरक्षण के दायरे में नहीं की जाएगी। इसके बाद ही 69 हजार शिक्षक भर्ती का पेच और भी उलझ गया था।
आरक्षण में मिली कम सीटें
प्रदर्शन कर रहे उम्मीदवारों ने यह भी दावा किया कि 69 हजार शिक्षक भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत की महज 3.86 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था यानी जहां पर उन्हें 18 हजार 598 सीट मिलनी चाहिए थी, मगर उन्हें सिर्फ 2 हजार 637 सीटे मिलीं। वहीं, इसको लेकर उस वक्त की सरकार का कहना था कि करीब 31 हजार ओबीसी वर्ग के लोगों की इसमें नियुक्ति की गई थी।
वहीं, दूसरी तरफ उम्मीदवारों का आरोप है कि शिक्षक भर्ती में से एससी वर्ग को 21 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए था, लेकिन उन्हें सिर्फ 16.6 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। इसी फैसले को लेकर शिक्षकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, लेकिन उन्हें वहां से भी निराशा हाथ लगी। अब देखना यह होगा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखती है या फिर वह हाई कोर्ट का फैसला बदलते हुए कोई बड़ा फैसला सुनाती है।
ये भी पढ़ें- Bulandshahr Road Accident: बुलंदशहर में बस ने मारी पिकअप को टक्कर, हादसा में कई लोगों की मौत; CM योगी ने जताया दुख