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Bhopal Gas Tragedy: 39 साल बाद भी न्याय का इंतजार, यूनियन कार्बाइड के मालिक डाव केमिकल की होगी पेशी

Bhopal Gas Tragedy: 39 साल बाद भी न्याय का इंतजार, विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी यूनियन कार्बाइड के मालिक डाव केमिकल की होगी पेशी

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Preeti Dwivedi
Bhopal Gas Tragedy: 39 साल बाद भी न्याय का इंतजार, यूनियन कार्बाइड के मालिक डाव केमिकल की होगी पेशी

Bhopal Gas Tragedy: भोपाल के लिए कभी न भूलने वाले और जिंदगी भर का जख्म देने वाले गैस कांड मामले में आज सुनवाई होनी है। भोपाल जिला अदालत के विधान महेश्वरी की कोर्ट में यूनियन कार्बाइड के डाव केमिकल की पेशी आज होनी है।

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विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी

आपको बता दें भोपाल गैस कांड विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी है। जिसके जख्म आज भी हरे हैं। इसमें पीड़ितों को अभी भी शारीरिक विक्षप्ति है। 39 साल बाद भी पीड़ितों को न्याय का इंतजार है।

याचिकाकर्ता और CBI पेश करेंगे सबूत

भोपाल जिला अदालत के विधान महेश्वरी की कोर्ट में होने वाली आज पेशी में सीबीआई समेत याचिका कर्ता भोपाल ग्रुप फॉर इन्फोर्मेशन एंड एक्शन Dow chemical अमरीका के खिलाफ तर्क और सबूत पेश करेंगे।

यूनियन कार्बाइड के मालिक डाव केमिकल की पेशी होगी

आपको बता दें भोपाल गैस त्रासदी मामले में 39 साल गुजरने के बाद अभी तक यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ है। पीड़ितों को अभी न्याय की आस है। आज यूनियन कार्बाइड के मालिक डाव केमिकल की पेशी होनी है। आपको बता दें गैस पीड़ितों ने याचिका दायर की थी। जिसमें आज CBI समेत याचिकाकर्ता तर्क और सबूत पेश करेंगे।

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अभी तक नहीं मिली सजा

विश्व की सबसे बड़े औद्योगिक हादसे के लिए जिम्मेदार न तो अभी तक कोर्ट में पेश हुए हैं। न ही इन विदेशी अभियुक्त,विदेशी कंपनी को सजा मिली है।
डाव केमिकल को आपराधिक बनाने को लेकर आज सुनवाई होनी है।

गैस कांड पर एक नजर

भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी में 3 दिसम्बर 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई थी। जिसमें स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसे भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम दिया गया।

इस बड़ी त्रासदी में 15000 से अधिक लोगों की जान गई थी। तो वहीं कई लोग शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए थे।

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भोपाल गैस कांड में मिथाइलआइसोसाइनेट (MIC) नामक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था। जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था।

हालांकि मृतकों का आधिकारिक आंकड़ा अभी कहीं भी मौजूद नहीं है। जिसके चलते अनुमान पर विभिन्न स्त्रोतों की अपनी-अपनी राय होने से इसमें भिन्नता मिलती है।

पहले इतने थे मृतक

फिर भी पहले अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2259 थी। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3787 लोगों की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी। अन्य अनुमान बताते हैं कि 8 हजार लोगों की मौत तो दो सप्ताह के अंदर हो गई थी और लगभग अन्य 8 हजार लोग तो रिसी हुई गैस से फैली संबंधित बीमारियों से मारे गये थे।

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सरकार शपथ पत्र में क्या

2006 में सरकार द्वारा दाखिल एक शपथ पत्र में माना गया था कि रिसाव से करीब 5 लाख 58 हजार 125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे तो वहीं आंशिक तौर पर प्रभावित होने वालों की संख्या लगभग 38 हजार 478 थी। इतना ही नहीं 3 हजार 900 लोग बुरी तरह प्रभावित होकर अपंगता के शिकार हुए थे।

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