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शिक्षक भर्ती केस की सुनवाई पूरी: सरकार ने नहीं दिया DEd-BEd का कंपेरेटिव चार्ट, HC ने इस निर्देश के साथ दिया अंतिम मौका

MP Teacher Recruitment Issue: शिक्षक भर्ती के इस विवाद से जुड़ी सुनवाई हाईकोर्ट में पूरी, फैसला सुरक्षित, जानें दो घंटे की जिरह में क्या हुआ

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Rahul Sharma
शिक्षक भर्ती केस की सुनवाई पूरी: सरकार ने नहीं दिया DEd-BEd का कंपेरेटिव चार्ट, HC ने इस निर्देश के साथ दिया अंतिम मौका

हाइलाइट्स

  • प्राथमिक शिक्षक भर्ती मामले की सुनवाई पूरी
  • एमपी हाईकोर्ट ने मामले में फैसला रखा रिजर्व
  • डीएलएड बीएड डिग्रीधारियों से जुड़ा है मामला
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MP Teacher Recruitment Issue: मध्यप्रदेश में प्राथमिक यानी वर्ग 3 शिक्षक भर्ती 2020 (MP Primary Teacher Recruitment) में Dled-Bed मामले को लेकर 24 अप्रैल को एमपी हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।

एमपी हाईकोर्ट के कहने के बाद भी सरकार की ओर से Ded-Bed योग्यताधारी ज्वाइन कर चुके प्राथमिक शिक्षकों का कंपेरेटिव चार्ट प्रस्तुत नहीं किया गया।

जिसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन को तीन दिन के अंदर चार्ट दाखिल किए जाने की अंतिम मोहलत भी दे दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया है।

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दो घंटे चली सुनवाई और फैसला सुरक्षित

मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं (MP Teacher Recruitment Issue) पर 24 अप्रैल को जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ केशवानी की डिवीजन बेंच में दोपहर 2.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक दो घंटे सुना गया।

जिसके बाद बेंच ने फाइनल सुनवाई करके हुए सभी प्रकरणों को फैसले के लिए सुरक्षित (High Court reserves the order) कर लिया।

https://twitter.com/BansalNewsMPCG/status/1783136055694069809

और अधिक समय दिये जाने पर हाईकोर्ट का इंकार

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता ने चार्ट दाखिल किए जाने हेतु एक माह का समय चाहा।

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लेकिन हाईकोर्ट (mp high court order) ने शासन को अब आगे समय देने से स्पष्ट इंकार करते हुए कहा कि यदि आप कोर्ट को असिस्ट नहीं करना चाहते तो कोई बात नहीं कोर्ट शेष पक्षकारों को सुनकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित फैसले के अनुक्रम में अपना निर्णय पारित करेगी। जिसके बाद महाधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा।

AG की दलील- याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं

महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने दलील दी कि बीएड डिग्रीधारी उम्मीदवार अब शिक्षक हैं। उनके सैलरी और पीएफ एकाउंट बन चुके हैं। ऐसे में ये याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं है।

उप महाधिवक्ता ने PIL यानी जनहित याचिका सर्विस मेटर में नहीं लगने का तर्क भी दिया।

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8 दिन में भी चार्ट नहीं किया प्रस्तुत

सुनवाई के दौरान 15 अप्रैल को हाईकोर्ट ने राज्य शासन को आदेशित किया था कि प्राथमिक शिक्षकों के रूप में नियुक्त बीएड अभ्यर्थियों का तारीख वार कंपेरेटिव चार्ट प्रस्तुत करें।

लेकिन शासन की ओर से 8 दिन बाद भी ये चार्ट नहीं दिया गया। उक्त चार्ट याचिकाकर्ताओं की ओर से दाखिल किया गया।

संक्षिप्त में मामले को समझ लीजिए

प्राथमिक यानी वर्ग 3 शिक्षक भर्ती 2020 (MP Teacher Recruitment Issue) में बीएड डिग्रीधारी उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी गई। इस पर डीएलएड उम्मीदवारों ने आपत्ति दर्ज की।

डीएलएड उम्मीदवारों का तर्क है कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती में डीएड मान्य ही नहीं है। उम्मीदवारों ने इस नियुक्ति को हाईकोर्ट में चैलेंज किया था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से ये रखा पक्ष

याचिका कर्ताओं की ओर से पैरेवी कर रहे अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल पुनरविचार याचिका में राज्य शासन की ओर से शपथ पत्र पर प्रस्तुत जानकारी के अनुसार अभी तक की कुल 21962 पदों की नियुक्तियों मे 11583 बीएड डिग्री धारियो को नियुक्ति दी गई है।

Dhiraj-Tiwari-MP-Teacher-Recruitment

उक्त विवादित सभी नियुक्ति हाईकोर्ट द्वारा याचिका क्रमांक 13768/2022 मे पारित अन्तरिम आदेश दिनांक 07/7/2022 के बाद की है।

मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 30.3.2023 को 16427 नियुक्तियों मे 8799 बीएड डिग्री धारियो और 10.8.2023 को 5617 नियुक्तियों मे 2784 बीएड डिग्री धारियो को नियुक्ति दे दी।

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एक्सपर्ट व्यू: इस तरह से मामले को किया जा सकता है निराकृत

याचिकाकर्ताओं की ओर पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि राज्य शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल आंकड़ो के आधार पर उक्त याचिकाओ की अंतिम सुनवाई करके निराकृत किया जा सकता है।

क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट ने 25.11.2021 को आदेश पारित कर NCTE की अधिसूचना 18.6.2018 को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था।

जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 11.8.2023 को अपने आदेश मे पुष्टि करके राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को वैध करार दिया गया। फिर भी मध्य प्रदेश सरकार ने नियुक्ती प्रदान करके अनावश्यक लेटीगेशनो को जन्म दिया गया है।

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याचिकाकर्ताओं की ओर से इन्होंने की पैरवी

याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण, मीनाक्षी अरोरा, रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, मनदीप कालरा समेत धीरज तिवारी ने की।

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