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Hathras School Controversy
हाइलाइट्स
नवरात्र व्रत पर छात्राओं को सजा
बजरंग दल ने किया विरोध प्रदर्शन
जांच के आदेश, शिक्षक ने नकारा
Hathras School Controversy: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सासनी क्षेत्र स्थित समामई गांव के कंपोजिट विद्यालय में धार्मिक आस्था और स्कूल अनुशासन के बीच तनाव उस समय बढ़ गया, जब छात्राओं द्वारा नवरात्रि (Navratri) का व्रत रखने और देर से स्कूल पहुंचने पर उन्हें कथित रूप से "मुर्गा" बनाया गया।
इस घटना को लेकर स्कूल में भारी हंगामा हुआ, बजरंग दल (Bajrang Dal) के कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया और शिक्षक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस और प्रशासन भी हरकत में आया।
विवाद की जड़ नवरात्रि व्रत
मामले की शुरुआत उस वक्त हुई, जब कुछ छात्राएं नवरात्रि के अवसर पर व्रत रखने और घर पर पूजा-पाठ करने के चलते स्कूल देर से पहुंचीं। छात्राओं के अनुसार, उन्होंने शिक्षक डॉ. पुष्पेंद्र सिंह (Dr. Pushpendra Singh) को देरी का कारण स्पष्ट किया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें सज़ा के तौर पर ‘मुर्गा’ बनने को मजबूर किया गया। इस सज़ा को लेकर छात्राओं ने आपत्ति जताई, और उनका कहना है कि यह उनके धार्मिक भावनाओं (religious sentiments) के खिलाफ है।
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Hathras School Controversy[/caption]
वायरल वीडियो ने बढ़ाया मामला
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया (viral video on social media) पर वायरल हो गया, जिसमें एक छात्रा यह आरोप लगाती दिख रही है कि उसे व्रत रखने के कारण मुर्गा बनाया गया। वीडियो सामने आते ही बजरंग दल के कार्यकर्ता स्कूल पहुंचे और जमकर नारेबाज़ी की। “जय श्रीराम” के नारों के बीच शिक्षकों से नोकझोंक भी हुई। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह घटना हिंदू भावनाओं का अपमान है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बीएसए ने दिए जांच के आदेश
हंगामे की सूचना मिलते ही पुलिस, तहसीलदार रजत कुमार और बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA Swati Bharti) मौके पर पहुंचे और स्थिति को शांत करने का प्रयास किया। बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को इस पूरे मामले की जांच करने का आदेश दे दिया है। अधिकारियों ने कहा है कि दोषी पाए जाने पर शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षक ने आरोपों को बताया निराधार
इस विवाद में घिरे विज्ञान शिक्षक डॉ. पुष्पेंद्र सिंह ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने किसी छात्रा को न तो मुर्गा बनाया और न ही कभी धार्मिक भेदभाव किया है। वे केवल बच्चों की पढ़ाई और भविष्य को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बिना सच्चाई जाने उनका नाम बदनाम कर रहे हैं।
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स्थानीय लोगों और अभिभावकों की प्रतिक्रियाएं
घटना के बाद गांव में भी चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। कुछ अभिभावकों ने शिक्षक के पक्ष में बयान देते हुए कहा कि बच्चों को अनुशासित करना गलत नहीं है, लेकिन यदि ऐसा धार्मिक कारणों से हुआ है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं, कई लोगों ने सोशल मीडिया पर घटना की निंदा की और शिक्षा विभाग से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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