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IAS Amneet P Kumar complaint: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की आत्महत्या मामले ने राज्य प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया है। बुधवार देर शाम उनकी पत्नी आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 थाना में डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया के खिलाफ शिकायत कर उनकी गिरफ्तारी की मांग की।
चार पन्नों की इस शिकायत में अमनीत पी. कुमार ने दोनों वरिष्ठ अधिकारियों पर सात गंभीर आरोप लगाए हैं। जिनमें आत्महत्या के लिए मजबूर करना, सार्वजनिक रूप से अपमानित करना, जाति-आधारित भेदभाव करना, झूठे केस में फंसाना और सबूत मिटाने की साजिश रचना शामिल है। उन्होंने मांग की है कि इन दोनों अधिकारियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की जाए, ताकि ये जांच को प्रभावित न कर सकें।
IAS अमनीत पी. कुमार के 7 गंभीर आरोप
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शिकायत की शुरुआत
अपनी शिकायत में आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने लिखा मैं केवल एक लोक सेवक नहीं, बल्कि एक शोकाकुल पत्नी और मां के रूप में यह शिकायत कर रही हूं। मेरे पति वाई पूरण कुमार की आत्महत्या के लिए डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया जिम्मेदार हैं। उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 108 (पूर्व में IPC 306) और SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज कर तत्काल गिरफ्तारी की जाए।
उन्होंने कहा कि यह केवल आत्महत्या का मामला नहीं, बल्कि एक ईमानदार अधिकारी की व्यवस्थित प्रशासनिक प्रताड़ना का परिणाम है। मेरे पति ने जातिगत भेदभाव और मानसिक यातना झेली हैं। अमनीत ने बताया कि घटना के समय वह जापान की सरकारी यात्रा पर थीं। उन्हें जैसे ही यह दुखद समाचार मिला, वे तुरंत भारत लौटीं। उन्होंने लिखा मेरे पति एक ईमानदार, निष्ठावान और समर्पित अधिकारी थे। उन्होंने कभी किसी से समझौता नहीं किया। लेकिन वर्षों से उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा व्यवस्थित रूप से अपमानित और प्रताड़ित किया गया। डीजीपी कपूर ने लगातार उन्हें नीचा दिखाने का प्रयास किया। मेरे पति की पीड़ा उनके कई शिकायत पत्रों और उनके 8 पन्नों के सुसाइड नोट से साफ झलकती है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पति अनुसूचित जाति से थे और उन्हें बार-बार जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा।
डीजीपी और एसपी ने झूठे केस में फंसाने की रची थी साजिश
अमनीत के अनुसार, वाई पूरण कुमार ने अपनी पत्नी को बताया था कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर के निर्देश पर उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। शिकायत में लिखा है मेरे पति को पता चल गया था कि उन्हें झूठे सबूतों के आधार पर फंसाया जाएगा। डीजीपी के निर्देश पर 6 अक्टूबर 2025 को रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में मेरे पति के स्टाफ सुशील के खिलाफ धारा 308(3) BNS 2023 के तहत झूठी FIR दर्ज की गई। मेरे पति ने डीजीपी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात को दबा दिया। एसपी बिजारणिया ने भी उनका फोन नहीं उठाया।
8 पन्नों का सुसाइड नोट
अमनीत ने बताया कि वाई पूरण कुमार ने आठ पन्नों का सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उन्होंने उन सभी अधिकारियों के नामों का उल्लेख किया है जिन्होंने उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। मेरे पति ने अपने सुसाइड नोट में स्पष्ट लिखा है कि उन्हें लगातार सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया, जातिगत गालियां दी गईं और पूजा स्थलों से दूर रखा गया। डीजीपी ने उन्हें हर स्तर पर अपमानित किया। यह उत्पीड़न उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता गया और अंततः उन्होंने यह कठोर कदम उठाया। अमनीत ने कहा कि उनके पति का अपराध केवल ईमानदार होना था। मेरे और मेरे बच्चों के लिए यह क्षति अपूरणीय है। हम केवल न्याय चाहते हैं, चुप्पी नहीं। यह आत्महत्या नहीं, संगठित उत्पीड़न का परिणाम है।
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आईएएस अधिकारी ने शिकायत में लिखा मेरे पति अनुसूचित जाति से थे और इसी पहचान के कारण उन्हें बार-बार निशाना बनाया गया। यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि शक्तिशाली अफसरों द्वारा व्यवस्थित मानसिक और जातिगत उत्पीड़न का परिणाम है। यह मामला केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हर ईमानदार अफसर की गरिमा से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि डीजीपी और एसपी जैसे प्रभावशाली पदों पर बैठे लोग साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे, इसलिए उनकी तत्काल गिरफ्तारी जरूरी है।
लैपटॉप में मिला सुसाइड नोट
अमनीत ने बताया कि जब वह अपने घर पहुंचीं, तो परिवार ने बताया कि पुलिस ने पहले ही सुसाइड नोट बरामद कर लिया था। मैंने जब अपने पति का लैपटॉप बैग खोला तो उसमें सुसाइड नोट की एक और कॉपी मिली। लैपटॉप खोलने पर पाया कि उसी नोट की टाइप की हुई फाइल भी मौजूद थी। मैंने दोनों चीजें पुलिस को सौंप दी हैं।
न्याय सिर्फ होना नहीं चाहिए, दिखना भी चाहिए
अमनीत ने अपनी शिकायत के अंत में लिखा डीजीपी और एसपी जैसे प्रभावशाली अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर जांच को प्रभावित करने का हर संभव प्रयास करेंगे। इसलिए तुरंत कार्रवाई जरूरी है। हमारे जैसे परिवारों के लिए न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए। मेरे बच्चे जवाब के हकदार हैं, मेरे पति की ईमानदारी सम्मान की हकदार है।
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