Election Result: हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के लिए काउंटिंग शुरू हो गई है। आज फैसला होगा, कि हरियाणा और जम्मू कश्मीर में अगले 5 साल कौन राज करेगा।
आपको बता दें कि हरियाणा और जम्मू कश्मीर में 90-90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई थी। हरियाणा में 10 साल से बीजेपी की सरकार है। वहीं जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं।
93 मतगणना केंद्रों पर काउंटिंग
हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पंकज अग्रवाल ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि राज्य के 22 जिलों में 90 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 93 मतगणना केंद्र स्थापित किए गए हैं। बादशाहपुर, गुरुग्राम और पटौदी विधानसभा सीटों के लिए दो-दो मतगणना केंद्र बनाए गए हैं, जबकि बाकी 87 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक-एक केंद्र है। मतगणना प्रक्रिया की देखरेख के लिए चुनाव आयोग ने 90 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है।
सबसे पहले गिने जाएंगे डाक मतपत्र
पहले डाक मतपत्रों की गिनती होगी, इसके 30 मिनट बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की गिनती शुरू होगी। सीईओ ने बताया कि मतगणना के हर चरण की सही जानकारी समय पर साझा की जाएगी। मतगणना के दौरान उम्मीदवारों, उनके अधिकृत प्रतिनिधियों, रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ/सहायक रिटर्निंग ऑफिसर (एआरओ) और ईसीआई पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में स्ट्रांगरूम खोले जाएंगे और वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि मतगणना केंद्रों में मोबाइल फोन लाने की अनुमति नहीं होगी।
हरियाणा में हुई थी 66.96 प्रतिशत वोटिंग
हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं। यहां 1031 उम्मीदवार चुनाव में शामिल हुए, जिनमें 930 पुरुष और 101 महिलाएं हैं। सभी सीटों पर 5 अक्टूबर को एक ही चरण में मतदान हुआ। चुनाव आयोग के अनुसार, 66.96 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने वोट डाले। हरियाणा में मतदान के लिए 20,632 केंद्र बनाए गए, जिनमें 13,500 ग्रामीण और 7,132 शहरी बूथ शामिल हैं।
बीजेपी-कांग्रेस ने 89-89 सीटों लगाया दांव
आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव में भाग लिया, जबकि कांग्रेस ने माकपा और बीजेपी ने गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने अंतिम समय में भिवानी सीट माकपा को दे दी। बीजेपी ने भी हलोपा के लिए एक सीट छोड़ी, जो कांडा की है। दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने एडवोकेट चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (एएसपी) के साथ गठबंधन किया है। जेजेपी ने 70 और एएसपी ने 20 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। इस गठबंधन के तहत आईएनएलडी ने 53 और बसपा ने 37 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
पिछले चुनाव से कैसे अलग था ये चुनाव
हरियाणा विधानसभा का यह चुनाव 2019 के चुनाव से कई मामलों में भिन्न था। इस बार समीकरण और गठबंधनों में काफी बदलाव देखने को मिला। चुनाव प्रचार के दौरान किसान, जवान और पहलवान से जुड़े मुद्दे प्रमुख रहे। गठबंधनों की बात करें तो जेजेपी ने एएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, जबकि आईएनएलडी ने बसपा के साथ चुनावी मैदान में उतरी। आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के लिए एक-एक सीटें छोड़ीं।
क्या है जम्मू-कश्मीर का गणित
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 90 सीटें हैं। इनमें से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 7 और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं, कुल मिलाकर 16 सीटें आरक्षित हैं। जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर घाटी में 47 विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान हुआ। पहले चरण में 18 सितंबर को 24 सीटों पर वोटिंग हुई। दूसरे चरण में 26 सीटों पर मतदान हुआ। तीसरे और अंतिम चरण में 1 अक्टूबर को 40 सीटों के लिए वोट डाले गए। कुल मिलाकर 63.88 फीसदी मतदान हुआ। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पहले चरण में 24 सीटों पर 61.38%, दूसरे चरण में 26 सीटों पर 57.31% और तीसरे चरण में 40 सीटों पर 69.69% वोटिंग हुई। महिलाओं में मतदान के प्रति उत्साह अधिक था, जहां 69.37% पुरुषों की तुलना में 70.02% महिलाओं ने वोट डाला।
किस पार्टी ने कितनी सीटों पर लगाया जोर
बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है। पार्टी ने जम्मू क्षेत्र की सभी 43 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। कश्मीर घाटी में, बीजेपी ने 47 सीटों में से केवल 19 पर उम्मीदवार उतारे हैं। घाटी की 28 सीटों पर पार्टी ने निर्दलीय या अन्य छोटी पार्टियों का समर्थन किया। गठबंधनों की बात करें तो कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर चुनाव लड़ा है, जबकि इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी ने जमात-ए-इस्लामी के साथ मिलकर चुनाव में भाग लिया है। सज्जाद लोन की जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, उनकी पार्टी और महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसे दल अकेले चुनाव में उतरे हैं। कुछ सीटों पर आम आदमी पार्टी ने भी अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।
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क्या था पिछले चुनाव का रिजल्ट ?
जम्मू कश्मीर में 10 साल पहले हुए आखिरी विधानसभा चुनाव में 65 प्रतिशत मतदान हुआ था। पीडीपी ने 22.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी। बीजेपी को 23 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन उसने 25 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही। डॉक्टर फारुक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 20.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 15 सीटें हासिल कीं, जबकि कांग्रेस ने 18 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 12 सीटें जीतीं। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को 1.9 प्रतिशत वोट शेयर मिला और उसने दो सीटें जीतीं। सीपीआईएम ने एक प्रतिशत से कम वोट शेयर के साथ एक सीट पर जीत हासिल की। उस समय पीडीएफ के एक और तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विधानसभा में पहुंचे थे। किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था।
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